छत्तीसगढ़

चलेगा बल्ला: कोच नहीं मिला तो लड़कों के साथ प्रैक्टिस कर बनाई भारतीय टीम में जगह

पटियाला। भारत और न्यूजीलैंड के बीच होने वाली सीरीज के लिए भारतीय अंडर-19 महिला क्रिकेट टीम में चयनित पटियाला की मन्नत कश्यप ने मुश्किल हालात में यह मुकाम पाया है। यहां तक पहुंचने के लिए उसे कोचिंग की बड़ी समस्या आई, लेकिन परिवार के सहयोग से वह आखिर भारतीय टीम का हिस्सा बन पाईं। मन्नत लेफ्ट आर्म स्पिनर हैं और राइट हैंड बल्लेबाज हैं।

मन्नत के पिता संजीव कश्यप कहते हैं, कि वह नौ साल की उम्र से क्रिकेट खेल रही है। हमने मन्नत के लिए कोच ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की, लेकिन लड़कियों के लिए कोई कोच नहीं मिला। हमने क्रिकेट हब कोचिंग अकादमी में लड़कों के साथ कोचिंग दिलाने का निर्णय लिया। उस समय पटियाला में कोई लड़कियों को कोचिंग नहीं देता था। मैंने उसे लड़कों के साथ खेलने दिया। यह आसान नहीं था। कोच कमल सिद्धू, जूही जैन ने उसके प्रशिक्षण में कोई कमी नहीं रखी। मन्नत कहती हैं कि ज्यादातर समय लड़कों के विरुद्ध खेलने से आत्मविश्वास आया। पिछले दिनों श्रीलंका के खिलाफ हुई खेल चुकी मन्नत ने चार ओवर में 10 रन देकर चार विकेट लिए थे।

कोरोना के दौरान घर पर जारी रखी प्रैक्टिस

मन्नत के पिता संजीव कश्यप उद्योगपति और मां लवलीन गृहिणी हैं। वे कहते हैं, आने वाला समय लड़कियों का ही है, इसलिए हमें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए कि लोग क्या कहेंगे। मन्नत के मामले में लोगों ने भरपूर सहयोग दिया। कोरोना के दौरान कोचिंग बंद हो गई तो मन्नत ने घर पर ही प्रैक्टिस जारी रखी। डेढ़ साल तक लगातार अभ्यास किया।

बहन से भी मिली प्रेरणा

मन्नत की बहन नुपुर कश्यप भी क्रिकेटर हैं और वह पंजाब का प्रतिनिधित्व कर चुकी। उन्हें देखकर ही मन्नत के मन में क्रिकेट के प्रति दिलचस्पी पैदा हुई और उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया। मन्नत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खिलाड़ी हरमनप्रीत कौर की भी प्रशंसक हैं और उनके खेल को बारीकी से देखती हैं। डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि मन्नत कश्यप ने जहां अपनी मेहनत से राष्ट्रीय टीम में जगह बनाई है, वहीं पटियाला जिले के लिए बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ अभियान की रोल माडल भी बनी हैं। उन्होंने मन्नत को हर संभव मदद करने का आश्वासन भी दिया।

कोचिंग में परेशानी न हो, इसलिए स्कूल ने किया पूरा सहयोगा

खेल के साथ-साथ पढ़ाई को भी आगे बढ़ाना मन्नत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। एक प्राइवेट स्कूल ने पढ़ाई के साथ कोचिंग में सहयोग नहीं किया तो पिता ने सरकारी स्कूल में बात की। वह इस पर राजी हो गए। स्कूल से पहले सुबह ढाई घंटे की कोचिंग के बाद मन्नत शाम को फिर चार बजे से साढ़े छह बजे तक कोचिंग लेती हैं। इसके साथ-साथ वह बारहवीं की तैयारी भी कर रही हैं। नोट्स बनाने से लेकर अतिरिक्त कक्षाएं लगाकर कोर्स पूरा करवाने में शिक्षक भी जुटे हुए हैं। यही वजह है कि जब मन्नत बेंगलुरु व अमृतसर में लगे कैंप में अभ्यास के लिए गईं तो पढ़ाई का नुकसान नहीं हुआ।