छत्तीसगढ़

कोल लेवी का 4000 करोड़ नहीं लौटाएगा केंद्र, संसद में राजीव शुक्ला के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा – यह नहीं मिलेगा छत्तीसगढ़ को

नई दिल्ली। केंद्र सरकार कोल ब्लॉक से मिलने वाली अतिरिक्त लेवी की रकम राज्य सरकारों को नहीं देगी। देश भर के कोयला खदानों से केंद्र सरकार के पास इस मद में छह हजार 976 करोड़ 30 लाख रुपए से अधिक राशि जमा है। इसमें चार हजार करोड़ रुपयों पर छत्तीसगढ़ का दावा है। मुख्यमंत्री बार-बार इसके लिए केंद्र सरकार से पत्राचार कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने राज्यसभा में कोल ब्लॉक की लेवी पर सवाल उठाया था। उन्होंने खान मंत्रालय से कोल ब्लॉक्स से एकत्र की गई अतिरिक्त टैक्स की जानकारी मांगी थी और पूछा था कि राज्यों को कब तक उनके हिस्से की राशि दी जानी की योजना है। राजीव शुक्ला का सवाल था कि छत्तीसगढ़ को उसके हिस्से के चार हजार करोड़ रुपए की राशि कब दी जाएगी। इसके लिखित जवाब में केंद्रीय कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, कोयला ब्लॉकों से अतिरिक्त लेवी के रूप में कुल 6 हजार 967 करोड़ 30 लाख रुपए एकत्र किए गए हैं। जिसमें से करीब 60 फीसदी यानी 4 हजार 24 करोड़ 38 लाख रुपए की राशि सिर्फ छत्तीसगढ़ के 6 कोल ब्लॉक से अर्जित की गई है। केन्द्र सरकार ने भारत के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से राय लेने के बाद ये तय किया है कि राज्यों को ये राशि नहीं दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री ने बताया,छत्तीसगढ़ सरकार ने उच्चतम न्यायालय में इसके लिए एक याचिका भी दायर की है।

क्या है यह अतिरिक्त कोल लेवी

उच्चतम न्यायालय के कोल ब्लॉक आवंटन पर दिए फैसले में खनिज पर राज्य सरकार के स्वामित्व होने की बात कही थी। खनिज अधिनियम – 2015 और खनिज नियमावली-2016 में राज्य को कोयला खनन में एडिशनल लेवी मिलने का प्रावधान है। छत्तीसगढ़ के आठ कोल ब्लॉक 294 रुपए प्रति टन की दर से यह अतिरिक्त लेवी केंद्र सरकार को जमा करा चुके हैं।

लगातार जारी है पत्राचार

वित्तीय संकट से दो-चार राज्य सरकार इस रकम को निकालने की कोशिश में है। इसके लिए 2019 से ही लगातार पत्राचार जारी है। 2020 में भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय खान मंत्री को पत्र लिखकर यह रकम वापस मांगी थी। केंद्रीय खान मंत्री के साथ हुई बैठक में भी यह मुद्दा उठा। नीति आयोग की बैठक में भी मुख्यमंत्री अपनी यह मांग उठा चुके हैं। थक हारकर सरकार इस रकम की वापसी के लिए उच्चतम न्यायालय भी पहुंची है।