छत्तीसगढ़

सिद्धारमैया की बढ़ीं मुश्किलें, मुडा केस में लोकायुक्त पुलिस ने सीएम समेत अन्य पर दर्ज की एफआईआर

Lokayukta police register FIR against Karnataka CM Siddaramaiah and others in MUDA case

बैंगलुरु।कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बता दें कि लोकायुक्त पुलिस ने मुडा मामले में सीएम सिद्धारमैया और अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सिद्धारमैया की याचिका खारिज कर दी थी। सिद्धारमैया ने भूमि आवंटन के संबंध में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामला दर्ज करने की राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के खिलाफ याचिका दायर की थी। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ मुडा मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। उच्च न्यायालय के ताजा फैसले के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ मुडा मामले में अब मुकदमा चलाया जा सकता है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि वह इस बारे में विशेषज्ञों से परामर्श करेंगे कि क्या कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं।

जुलाई की शुरुआत में हुआ मुडा केस का खुलासा
दरअसल, मुडा में कथित गड़बड़ी का मामला जुलाई के शुरुआत में सामने आया था। 1 जुलाई को आईएएस अधिकारी वेंकटचलपति आर के नेतृत्व में जांच के लिए एक सरकारी आदेश जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रथम दृष्टया मुडा के भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं का संदेह है। इसमें कहा गया कि भूखंडों को पात्र लाभार्थियों को देने के बजाय, उन्हें प्रभावशाली लोगों और रियल एस्टेट एजेंटों को आवंटित किए जाने की शिकायतें मिली थीं।

इसके बाद राज्य के शहरी विकास मंत्री ब्यारती सुरेश ने 1 जुलाई को मैसूर में एक बैठक की और मुडा आयुक्त दिनेश कुमार सहित चार अधिकारियों का तबादला कर दिया। राज्य में कथित घोटाले की खबरें सामने आने के बाद, कर्नाटक के नेता प्रतिपक्ष आर. अशोक ने दावा किया कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को भी नियमों का उल्लंघन करते हुए एक वैकल्पिक साइट दी गई।

क्या है मुडा केस का पूरा मामला?
दरअसल, मुडा शहरी विकास के दौरान अपनी जमीन खोने वाले लोगों के लिए एक योजना लेकर आई थी। 50:50 नाम की इस योजना में जमीन खोने वाले लोग विकसित भूमि के 50% के हकदार होते थे। यह योजना 2009 में पहली बार लागू की गई थी। जिसे 2020 में उस वक्त की भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। सरकार द्वारा योजना को बंद करने के बाद भी मुडा ने 50:50 योजना के तहत जमीनों का अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। सारा विवाद इसी से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को इसी के तहत लाभ पहुंचाया गया।

सीएम और उनकी पत्नी पार्वती पर आरोप
आरोप है कि मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा भूमि  मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई। इसके बदले में एक महंगे इलाके में 14 साइटें आवंटित की गईं। मैसूर के बाहरी इलाके केसारे में यह जमीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी ने 2010 में उपहार स्वरूप दी थी। आरोप है कि मुडा ने इस जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही देवनूर तृतीय चरण की योजना विकसित कर दी।

मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती ने आवेदन किया जिसके आधार पर, मुडा ने विजयनगर III और IV फेज में 14 साइटें आवंटित कीं। यह आवंटन राज्य सरकार की 50:50 अनुपात योजना के तहत कुल 38,284 वर्ग फीट का था। जिन 14 साइटों का आवंटन मुख्यमंत्री की पत्नी के नाम पर हुआ उसी में घोटाले के आरोप लग रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि पार्वती को मुडा द्वारा इन साइटों के आवंटन में अनियमितता बरती गई है।

कांग्रेस सिद्धारमैया के साथ खड़ी: खरगे
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ खड़ी है। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइट आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस की जांच में फंसे कांग्रेस नेता का समर्थन करेगी। सिद्धारमैया के इस्तीफे की भाजपा की मांग को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि न तो कोई आरोपपत्र दाखिल किया गया है, न ही उन्हें दोषी ठहराया गया है। कानून को अपना काम करने दें। जब स्थिति आएगी, तो पार्टी जांच करेगी।