छत्तीसगढ़

स्पेशल सेशन रद्द होने से घबराई आप सरकार, गवर्नर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी

नईदिल्ली I पंजाब सरकार राज्य के गवर्नर के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है. राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राज्य विधानसभा के एकदिवसीय सत्र बुलाने के अपने फैसले को बुधवार, 21 सितंबर को कथित रूप से अचानक रद्द कर दिया था. हालांकि राज्यपाल ने पहले पंजाब सरकार को विधानसभा के स्पेशल सेशन की इजाज़त दे दी थी और 22 सितंबर, गुरुवार को आप सरकार विधानसभा में विश्वास मत पेश करने वाली थी. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी और याचिका पर शुक्रवार को जल्द सुनवाई की मांग करेगी.

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने स्पेशल सेशन के अपने पहले के आदेश को कथित रूप से नियमों के अभाव में रद्द कर दिया था और एक नया आदेश जारी किया था. गौरतलब है कि राज्यपाल ने अपने पहले के आदेश को रद्द करने का फैसला विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा पेश एक मेमोरेंडम के आधार पर लिया था, जिसमें बीजेपी और कांग्रेस नेताओं ने इसे नियमों के खिलाफ बताया था. बाद में कथित रूप से राज्यपाल ने कानूनी मदद भी ली, जिसके बाद स्पेशल सेशन को रद्द करने का आदेश जारी किया.

राज्यपाल के फैसले की दिल्ली तक आलोचना

राज्यपाल के फैसले की दिल्ली तक में आलोचना हुई. आम आदमी पार्टी ने यहां तक आरोप लगाया कि राज्यपाल के अचानक फैसले से ‘ऑपरेशन लोटस’ को बढ़ावा मिलेगा. आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि गवर्नर का फैसला उनकी मंशा पर सवालिया निशान लगाते हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लोकतंत्र खत्म हो चुका है.उन्होंने कहा कि दो दिन पहले गवर्नर ने स्पेशल सेशन की इजाज़त दे दी लेकिन जब ऑपरेशन लोटस फेल होने लगा तो ऊपर से आदेश आया और राज्यपाल ने अपना आदेश वापस ले लिया. आप नेता राघव चड्ढा ने कहा, “राज्यपाल के अपने आदेश को वापस लेना उनकी मंशा पर एक गंभीर सवालिया निशान खड़ा करते हैं. यह किसी भी उचित समझ से परे है कि विधानसभा का सामना करने के सरकार के फैसले पर कोई आपत्ति क्यों होनी चाहिए?”

आप का ऑपरेशन लोटस का आरोप

आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर पंजाब में ऑपरेशन लोटस का आरोप लगाया था. आप का आरोप था कि बीजेपी विधायकों को खरीदने के लिए 25-25 करोड़ रुपए का ऑफर दे रही है. इसी पर सीएम भगवंत मान ने विधानसभा में स्पेशल सेशन बुलाकर विश्वास मत पेश करने का फैसला किया और राज्यपाल से इसकी इजाज़त भी मांगी थी, जिसे राज्यपाल ने मंजूर भी किया था. मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्हें पूरा विश्वास है कि पंजाब के विधायक अपनी जमीन और पंजाब के प्रति वफादार रहेंगे.