छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : कालीचरण बोला-जो कहा अफसोस नहीं, गांधी पर विवादित टिप्पणी के बाद हुआ था गिरफ्तार, आज फिर हुई पेशी

रायपुर I शुक्रवार को कालीचरण रायपुर पहुंचा। पिछले साल महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी करने के मामले में अदालत में पेशी हुई। रायपुर कोर्ट की तरफ से उन्हें पेश होने का आदेश दिया गया था। रायपुर में कालीचरण पर महात्मा गांधी के खिलाफ टिप्पणी की वजह से राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था। शुक्रवार को कोर्ट में पेशी के दौरान भी कालीचरण के तेवर नहीं बदले।

रायपुर कोर्ट ने कालीचरण मामले की सुनवाई की तारीख आगे बढ़ा दी। अब कालीचरण के वकीलों को 11 नवंबर की तारीख मिली है। कालीचरण को CJM भूपेंद्र वासनीकर की अदालत में पेश किया गया था। शहर के टिकरापारा थाने में कालीचरण के खिलाफ निगम के सभापति प्रमोद दुबे ने महात्मा गांधी पर विवादित टिप्पणी करने पर FIR दर्ज करवाई थी।

मुझे उत्साह आ गया है
रायपुर की अदालत में कालीचरण ने कहा- राजनीति में धर्म आना चाहिए, तब तो धर्म राज्य आएगा। राजा तो हमें राम ही चाहिए, राजा धर्म से जुड़ा होना चाहिए, जो हिंदूहित की बात करेगा मैं उसी के साथ हूं। कालीचरण ने आगे कहा- मैंने जो कुछ पहले कहा उस पर कोई अफसोस नहीं, मुझे न्याय प्रक्रिया पर पुरा भरोसा है। मैं न्यायपालिका का सम्मान भी करता हूं, जो न्याय प्रक्रिया का सम्मान नहीं करता देश द्रोही है। देश में हिन्दुओं का प्रचंड एकीकरण हुआ है,भारी समर्थन मिल रहा है। मुझे धर्मकार्य करनें में उत्साह आ गया है।

ये है कालीचरण से जुड़ा पूरा विवाद
रायपुर में पिछले साल रावणभाटा मैदान में धर्म संसद का आयोजन हुआ था। यहां बतौर वक्ता महाराष्ट्र से कालीचरण आए। कालीचरण मध्य प्रदेश में भोपाल के पास भोजपुर मंदिर में शिव तांडव स्रोत गाकर मशहूर हुए थे। ये खुद को संत नहीं मानते हालांकि कपड़े वैसे ही पहनते हैं। कालीचरण ने मंच पर आकर पहले शिव तांडव स्रोत सुनाया। कुछ देर वे धर्म और हिंदुत्व पर अपनी बात रखने लगे।

कालीचरण ने कहा कि इस्लाम का मकसद राजनीतिक तौर पर राष्ट्र पर कब्जा करना है। सन 1947 में हमने देखा है। मोहन दास करमचंद गांधी ने देश का सत्यानाश किया, नमस्कार है नाथूराम गोडसे को जिन्होंने उन्हें मार दिया। मंच से जब कालीचरण ने यह बात कही, तो भीड़ ने तालियां बजाईं, जय श्री राम के नारे भी लगाए। इसके बाद कालीचरण ने गांधी के लिए कुछ अपशब्दों का प्रयोग किया था। कुछ देर बाद जब बोलने की बारी आई, रायपुर के दूधाधारी मठ के प्रमुख महंत रामसुंदर दास ने कार्यक्रम का विरोध किया और उठकर चले गए। इसके बाद मामला थाने पहुंचा था।