छत्तीसगढ़

PoK ही वो चाबी जो खोलेगी BJP के लिए गुजरात-हिमाचल और 2024 चुनाव का ताला!

नईदिल्ली I गुजरात विधानसभा चुनाव 1 और 5 दिसंबर को होने की आज घोषणा हो गई है. इधर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दस दिनों में लगातार दूसरी बार यह बयान दिया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हम लेकर रहेंगे. बीजेपी जो कहती है, वो करती है. उधर पाकिस्तान में तहरीके इंसाफ पार्टी की रैली में इमरान खान पर गोली चली है. पाकिस्तान के राजनीतिक और आर्थिक हालात अराजकता की स्थिति में पहुंच गए हैं, यह बात किसी से छुपी नहीं है. वे अब पाकिस्तानी आर्मी और आईएसआई पर भी लगातार अटैक कर रहे थे, जिन्हें पाकिस्तान का इस्टैबलिशमेंट कहा जाता है.

उधर हाल ही में रशिया के अधिकृत मीडिया में सारा जम्मू-कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर शामिल) को भारत के मैप में दिखाया गया. उधर चीन में शी जिनपिंग के खिलाफ असंतोष चरम पर है. जिस तरह से उन्होंंने अपने लिए तीसरी बार सत्ता हथियाई है और कोरोना मिटाने के नाम पर लोगों को घरों में बंद किया है और जिस तरह पूरी दुनिया में चीन की नकारात्मक छवि फैलने से उसकी अर्थव्यवस्था को जबर्दस्त झटका लगा है, उससे यह साफ होता है कि चीन इस वक्त अपनी अंदरुनी समस्याओं से घिरा हुआ है.

चीन भी बुला रहा जिमी- जिमी आ जा, आ जा…

सारा चीन इस वक्त हमारे ट्यून में नाच रहा है और गा रहा है…जिमी जिमी आ जा …आ जा. आप में से कई लोगों को यह पता होगा कि हमारे बप्पी लाहिड़ी और मिथुन दा के ‘डिस्को डांसर’ फिल्म का यह गाना चीन में क्यों धूम मचा रहा है. चीन में ‘जे मी’ का मतलब चावल होता है. वहां के लोग व्यंग्य के तौर पर यह गाना गाकर सरकार के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे हैं. वे यह बता रहे हैं कि सरकार की ज्यादती और तालाबंदी की वजह से वे राशन तक खरीद कर नहीं ला पा रहे. ऐसे अंदरुनी हालात को देखते हुए चीन पाकिस्तान के लिए भारत से पंगा लेने की जुर्रत नहीं करेगा.

यही है मौका, इंडिया लगा दे चौका…PoK हमारा, तो उसपे क्यों कब्जा किसी का

आप सोच रहे होंगे कि ये क्या इधर से उधर, उधर से इधर अलग-अलग खबर हम आपको बता रहे हैं और मुद्दे पर नहीं आ रहे हैं. तो लीजिए सहृदय पाठकों, हम मुद्दे पर आते हैं. माहौल तैयार है. यही है मौका , इंडिया लगा दे चौका. पीओके को कर ले अपने कब्जे में. शायद इंडिया इसी ओर सोच रहा है. राजनाथ के मुंह से बार-बार यह वाक्य यूं ही नहीं निकल रहा है कि- पीओके हम लेकर रहेंगे…बीजेपी जो कहती है, वो करती है.

जब भारत आगे बढ़ेगा, तो इसलिए चीन कुछ नहीं कहेगा

हमारा विदेश मंत्रालय और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी ज्यादा बुलंद आवाज में यूएन समेत अंतर्राष्ट्रीय पटल पर सीमा पार आतंकवाद के मामले को उठाना शुरू कर दिया है. मत भूलिए ओसामा वहीं मिला था, दाउद, हाफिज, मसूद अजहर पाकिस्तान में ही पड़े हैं, पाकिस्तान भले स्वीकार ना करे. सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं हुआ है. चार दिन ही बीते हैं कि भारत ने अपने ही देश में संपन्न हुए वैश्विक कार्यक्रम में इस समस्या को दोहराया और पूरी दुनिया ने भी सहमति में सर हिलाया.

यानी दुनिया आतंकवाद से ग्रस्त है. चीन फिलहाल अपनी समस्याओं से त्रस्त है. भारत यूएन, जी 20 और आईएमएफ जैसी बड़ी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में बड़ी जिम्मेदारियां निभा रहा है. चीन वैसे भी पक्का व्यापारी है. चीन के खिलाफ कोई ट्रेड का बड़ा लालच काम आ सकता है. मंदी के वक्त में भारत की ओर से कोई बड़ा ऑर्डर बाजी पलट सकती है. दूसरी ओर पाकिस्तान चीन को कुछ भी ऑफर नहीं कर सकता है. उसके पास चीन को देने के लिए ऐसा कुछ है ही नहीं, उल्टा पाकिस्तान में चीन का निवेश लगातार डूब रहा है.

भारत वो करेगा तो अमेरिका कुछ नहीं बोलेगा…जर्मनी सिर्फ बोलेगा, कर क्या लेगा?

अमेरिका को यह बताना काफी है कि सीपेक का रास्ता पीओके से होकर गुजरता है. अगर आगे चल कर चीन की रीढ़ बनने जा रहा यह वन बेल्ट, वन रोड प्रोजेक्ट ध्वस्त करना है तो भारत के सुर में सुर मिलाए. रुस की चिंता नहीं. रही बात यूरोप की, तो जर्मनी के सिवा कौन बोलेगा? और अकेला जर्मनी क्या कर लेगा? भारत जिस तरह 1971 में रिफ्यूजी संकट से परेशान था, उसी तरह आज सीमा पार आतंकवाद से परेशान है. जयशंकर का सटीक जवाब फिर दिया जा सकता है कि यूरोप अपनी इस मानसिकता से बाहर आए कि जो उनकी समस्या नहीं, वो दुनिया में किसी की समस्या नहीं. सच्चाई तो यह है कि आतंकवाद तो यूरोप की भी समस्या रही है.

इस्लामिक देशों से मोदी सरकार के सबसे अच्छे संबंध, तुर्की की ले लेंगे फिरकी

रही बात तेल उत्पादक गल्फ और इस्लामिक देशों की तो ओमान, यूएई, ईरान, सउदी अरब जैसे सभी देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं. मलेशिया रास्ते पर आ चुका है. तुर्की ने ज्यादा तुनक दिखाया तो उसे पहले उसकी हड़पी हुई जमीन लौटाने को कहा जा सकता है. वैसे भी दुनिया के देश आज अपना-अपना फायदा देख रहे हैं. कोविड ने दुनिया भर के देशों की इकॉनॉमी को जर्जर कर दिया है. ऐसे में ज्यादा से ज्यादा यूक्रेन की तरह सारे देश मानवीय मदद पाकिस्तान को पहुंचा सकते हैं. पाकिस्तान की छवि आतंकवाद के पोषक देश के तौर पर है. उसकी छवि यूक्रेन की तरह नहीं है. इसलिए पाकिस्तान को ज्यादा मदद मिलने की संभावना कम है. भारत के लिए अब सही आया मौसम है.