नईदिल्ली I क्या भारतीय क्रिकेट टीम 2022 की नाकामियों से उबर पाएगी? क्या 2023 में भारतीय टीम सफलता की नई सीढ़ी चढ़ पाएगी? क्या भारतीय खिलाड़ी नए साल में ज्यादा फिट और ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे? सबसे बड़ा सवाल- क्या 2023 में भारत वर्ल्ड कप जीत पाएगा? इन सबके जवाब अगले 365 दिनों में मिलेंगे लेकिन इन सबको हासिल करने के लिए जो जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए, उस दिशा में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) पहल करता हुआ दिख रहा है. नए साल के पहले दिन बीसीसीआई की खास बैठक में 2023 का रोडमैप तैयार किया गया.
नए साल में नई उपलब्धियां हासिल करने और टीम इंडिया को नई राह दिखाने के लिए रविवार 1 जनवरी को मुंबई में बीसीसीआई के मुख्यालय में एक खास बैठक हुई. ये बैठक भारतीय टीम के बीते साल के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए थी, जिसमें कप्तान रोहित शर्मा, मुख्य कोच राहुल द्रविड़, चयन समिति के प्रमुख चेतन शर्मा और नेशनल क्रिकेट एकेडमी के मुखिया वीवीएस लक्ष्मण भी शामिल थे. इस बैठक में बोर्ड ने 4 बड़े फैसले लिए, जिनका बड़ा असर हो सकता है. क्या हैं ये फैसले और क्या हैं इनके मायने, आपको बताते हैं.
फैसला नंबर- 1
उभरते खिलाड़ियों के लिए घरेलू क्रिकेट जरूरी
असर: बोर्ड ने बड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि उभरते हुए खिलाड़ियों को टीम इंडिया में चयन के योग्य बनने के लिए पर्याप्त घरेलू सीजन खेलना होगा. यानी इससे साफ है कि अभी तक जिस तरह से सिर्फ एक या दो IPL सीजन में हिट होने के बाद नए खिलाड़ियों को किसी भी सीरीज के लिए टीम इंडिया में जगह मिलने लगी थी, अब ऐसा नहीं होगा. खिलाड़ियों को घरेलू क्रिकेट (या IPL में भी) में कुछ सीजन तक खुद को तराशना होगा और लगातार बेहतर प्रदर्शन करने पर ही उन्हें मेहनत का इनाम मिलेगा. पिछले 2-3 साल में रवि बिश्नोई, वरुण चक्रवर्ती, वेंकटेश अय्यर, राहुल चाहर और उमरान मलिक जैसे खिलाड़ियों को सिर्फ IPL प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय टीम में जगह मिल रही थी. अब ऐसा नहीं होगा यानी युवा खिलाड़ी सिर्फ IPL के भरोसे रहकर घरेलू क्रिकेट से मुंह नहीं चुरा सकेंगे.
फैसला नंबर- 2
यो-यो टेस्ट और डेक्सा (DEXA) सेलेक्शन का हिस्सा
असरः भारतीय खिलाड़ियों की लगातार बढ़ती चोट ने बोर्ड को फिर से यो-यो टेस्ट जैसे पैमाने पर लौटने के लिए मजबूर कर दिया है. इससे पहले भी टीम इंडिया में सेलेक्शन के लिए यो-यो टेस्ट पास करना जरूरी था लेकिन फिर कोरोना के कारण इसे रोक दिया गया था. अब एक बार फिर बोर्ड ने इसे अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा डेक्सा स्कैन के रूप में नया टेस्ट जोड़ा गया है, जो खिलाड़ियों की हड्डी की मजबूती और उनकी फिटनेस पर जानकारी देगा. यानी अगर इन टेस्ट में तय पैमानों को पार करने में नाकाम रहे, तो खिलाड़ी कोई भी हो, उसे चुना नहीं जाएगा. BCCI को उम्मीद है कि इससे खिलाड़ियों की लगातार बढ़ती चोट से छुटकारा मिलेगा या बार-बार चोटिल खिलाड़ियों को स्क्वॉड में मौका नहीं दिया जाएगा, जिससे योजनाएं प्रभावित नहीं होंगी.
फैसला नंबर- 3
IPL 2023 में खिलाड़ियों का वर्कलोड मैनेजमेंट
असरः टीम इंडिया के केंद्रीय अनुबंधित खिलाड़ी और कुछ ऐसे नए खिलाड़ी, जिन्हें सेलेक्टर्स और टीम मैनेजमेंट वर्ल्ड कप के लिए तैयार करना चाहती है, IPL में उनके इस्तेमाल, वर्कलोड मैनेजमेंट, उनकी फिटनेस और उनके प्रदर्शन पर नजर रखने का काम NCA करेगा ताकि टीम इंडिया की योजनाओं पर विपरीत असर न पड़े. अक्सर ये सवाल उठता रहा है कि क्यों खिलाड़ियों को टीम इंडिया की सीरीज के दौरान वर्कलोड मैनेजमेंट के नाम पर ब्रेक दिया जाता है लेकिन IPL में अपनी फ्रेंचाइजी के लिए वे सारे मैच खेलते हैं. जाहिर तौर पर इसे रोकने के लिए अब बोर्ड को ये कदम उठाना पड़ा है.
फैसला नंबर 4
वर्ल्ड कप के लिए 20 खिलाड़ियों शॉर्ट लिस्ट
असरः इस फैसले की जानकारी आधिकारिक तौर पर BCCI की प्रेस रिलीज में नहीं थी लेकिन बोर्ड सचिव जय शाह ने बैठक के बाद मीडिया से ये बात कही. ये बेहद अहम फैसला है. बोर्ड सचिव ने कहा है कि यही 20 खिलाड़ी वर्ल्ड कप तक होने वाली वनडे सीरीज में रोटेट होंगे और उनमें से ही आखिरी स्क्वॉड चुना जाएगा. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि पिछले दो टी20 वर्ल्ड कप से पहले भारतीय टीम ने कई एक्सपेरिमेंट किए, कई खिलाड़ियों को मौके दिए और टूर्नामेंट से पहले तक एक सेटल टीम नजर नहीं आई. जरूरत से ज्यादा विकल्पों की मौजूदगी ने विश्व कप/एशिया कप के लिए टीम चयन को कंफ्यूजन के कारण मुश्किल में डाल दिया था. दोबारा ऐसा न हो, इसके लिए बोर्ड ने ये फैसला किया है.