छत्तीसगढ़

Covid-19 Risk: वैक्सीनेटेड लोगों में भी बढ़ा है मौत का आंकड़ा, फिर कैसे मिलेगी कोरोना से सुरक्षा?

नईदिल्ली I पिछले एक महीने से कोरोना संक्रमण का जोखिम वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। चीन-जापान, अमेरिका सहित कई देश इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां संक्रमितों के साथ मृतकों का भी आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि संक्रमण से मरने वाले ज्यादातर लोगों का वैक्सीनेशन भी हो चुका था, ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कोरोना के इस नए खतरे से बचाने में टीकाकरण भी प्रभावी नहीं है?

वहीं कोरोना के नए वैरिएंट्स को लेकर हुए अध्ययन में बताया जाता रहा है कि ओमिक्रॉन जैसे वैरिएंट्स संक्रामक जरूर हैं, हालांकि इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का जोखिम कम है, ऐसे में बढ़ता मौत का आंकड़ा वैज्ञानिकों के लिए चिंताकारक है। आखिर इसकी वजह क्या है, आइए समझते हैं।

वैक्सीनेटेड लोगों में बढ़ा है मौत का आंकड़ा

इस बारे में केएफएफ हेल्थ सिस्टम ट्रैकर ने एक विश्लेषण साझा किया है जिसमें वैज्ञानिकों की टीम ने इस जोखिम को गंभीरता से समझने की कोशिश की है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 की समाप्ति तक कोरोना से मरने वाले 10 में से तीन लोग या तो वैक्सीनेटेड थे या बूस्टर डोज ले चुके थे, हालांकि अप्रैल 2022 तक यह आंकड़ा बढ़कर 6 हो गया।स्टेट्स सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने इसको लेकर विस्तृत डेटा भी शेयर किया है, जिसमें यूनाइटेड स्टेट्स में सितंबर 2021 से अगस्त 2022 तक मरने वाले लोगों के वैक्सीनेशन की स्थिति का विवरण है। आइए वैक्सीनेटेड लोगों में बढ़ते मौत के कारणों के बारे में जानते हैं।

सितंबर 2021 से अगस्त 2022 तक के आंकड़े

सीडीसी द्वारा साझा किए गए डेटा से पता चलता है कि सितंबर 2021 में कोविड से मरने वालों में वैक्सीनेटेड लोगों की संख्या 22 फीसदी के करीब थी, जबकि 77 फीसदी लोग बिना वैक्सीनेशन वाले थे। जनवरी 2022 आते-आते टीकाकरण करा चुके लोगों में कोरोना से मौत की दर बढ़कर 29 फीसदी तक पहुंच गई, इसमें 12 फीसदी ऐसे भी थे जिनको बूस्टर डोज भी लग चुकी थी।वहीं अगस्त 2022 तक आश्चर्यजनक रूप से इस आंकड़े में काफी हैरान करने वाले बदलाव देखे गए हैं। यहां मरने वालों में 36 फीसदी बूस्टर डोज ले चुके थे, 22 फीसदी को वैक्सीन की दोनों डोज मिल चुकी थी, जबकि 42 फीसदी ऐसे थे जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था।

टीका लगवा चुके लोगों में मौत के बढ़ते मामले 

वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में मौत के बढ़ते मामले के डेटा अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं की टीम ने इसके लिए कई कारकों को जिम्मेदार पाया। इसमें टीकाकरण के बाद कम होती प्रतिरक्षा, वृहद आबादी में बूस्टर डोज की कमी जैसे कारकों पर जोर दिया गया है। वैज्ञानिकों ने पाया कि पिछले साल कोरोना के कई देशों में कम होते आंकड़ों के बीच मास्क लगाने जैसे आवश्यक उपायों की कमी और नए वैरिएंट्स के बढ़ते प्रभाव ने लोगों में संक्रमण बढ़ा दिया, इसे भी एक कारक के तौर पर देखा जा सकता है।

कम हो जाती है टीकाकरण की प्रतिरक्षा

शोधकर्ता बताते हैं, टीकाकरण के शुरुआती समय के दौरान मरने वालों में वैक्सीनेटेड लोगों को आंकड़ा काफी कम था।सीडीसी और द लैंसट के अध्ययन में पाया गया कि समय के साथ कोविड-19 टीकों से सुरक्षा कम हो सकती है। इसके अलावा कोविड को लेकर हुए तमाम शोध यह भी बताते हैं कि संक्रमण की दर जितनी बढ़ती है उसी के सापेक्ष मृत्युदर में बढ़ोतरी आने का जोखिम भी बढ़ जाता है। ओमिक्रॉन जैसे नए वैरिएंट के बढ़ने के साथ, मास्किंग जैसे उपायों में कमी और टीकाकृत लोगों के संक्रमित होने की आशंका के चलते मौत के आंकड़ों में बढ़ोतरी आ सकती है।

क्या है अध्ययन का निष्कर्ष

इस अध्ययन के निष्कर्ष में शोधकर्ता कहते हैं, हमारे विश्लेषण से यह मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि वैक्सीनेशन, कोरोना से बचाव के लिए प्रभावी नहीं है। यह विश्लेषण वास्तव में बूस्टर वैक्सीनेशन को बढ़ाने पर अधिक जोर देता है। सीडीसी के अनुसार, 12 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोग जिनको बूस्टर डोज लगा है उनमें अन्य लोगों की तुलना में संक्रमण से मृत्यु का जोखिम 15 गुना कम देखा जा रहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बड़ी आबादी को बूस्टर डोज दे दिया जाए तो निश्चित ही नए वैरिएंट्स से संक्रमण की स्थिति में भी मृत्यु के जोखिम को कम किया जा सकता है। बूस्टर वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा नए वैरिएंट्स पर भी असरदार पाई गई है।