बिलासपुर I बिलासपुर और नागपुर के बीच 12 दिसंबर से शुरू हुई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन एक भी दिन विलंब से नहीं चली है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसकी मॉनिटरिंग स्वयं रेलवे बोर्ड दिल्ली से कर रहा है। वहीं दूसरी ओर बिलासपुर जाेन में प्रवेश करते ही लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों के साथ–साथ कम दूसरी यानि बिलासपुर-इतवारी-नागपुर तक चलने वाली ट्रेनें हांफने लगती है, उनकी रफ्तार धीमी पड़ जाती है। मंगलवार को शिवनाथ, इंटरसिटी, मेल, आजाद हिंद, जनशताब्दी, उत्कल, अमरकंटक एक्सप्रेस सहित 10 ट्रेन विलंब से पहुंची।
वंदे भारत ट्रेन जहां-जहां से गुजरती है अगर उस रास्ते में पटरियों पर जहां कहीं भी काम चल रहा होता है तो ट्रेन आने के समय में उसे रोक दिया जाता है। काम तब तक रुका रहता है जब तक ट्रेन वहां से नहीं गुजर जाती है। लेकिन ऐसा अन्य ट्रेनों के साथ नहीं होता है। पटरी पर काम नहीं चल रहा है और मालगाड़ी को आगे भेजना है तो भी एक्सप्रेस ट्रेनों को कहीं भी खड़ा कर दिया जाता है। फिर चाहे वह कोई भी ट्रेन हो। दूरंतो और राजधानी जैसी ट्रेनों को भी रेलवे के अफसर तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
हावड़ा से मुंबई जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें इन दिनों घंटों विलंब से चल रही हैं। एक्सप्रेस ट्रेनों में बिलासपुर से नागपुर तक का सफर अधिकतम 7 घंटे का है, लेकिन दिनों ये 12 से 13 घंटे ले रहीं है। ऐसे में आमजनता प्लेटफार्म पर बैठकर ट्रेन का इंतजार करते परेशान हो रही है तो ट्रेन के अंदर बैठे यात्री लेट लतीफी के लिए रेलवे प्रशासन को कोसते रहते हैं। जब तक नागपुर तक तीसरी लाइन कंप्लीट नहीं होती है तब तक ट्रेनों की ऐसी ही स्थिति रहने वाली है।
रायगढ़ से डोंगरगढ़ तक परेशानी कम रहती है
झारसुगुड़ा से जैसे ही ट्रेन बिलासपुर की ओर आगे बढ़ती है तो मुंबई मेल, आजाद हिंद, दूरंतो, अहमदाबाद सहित अन्य ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो जाती है। इसकी वजह कोयला से भारी लॉग वाल मालगाड़ी होती है। हिमगीर से जामदा तक चढ़ाई वाला हिस्सा है इस हिस्से में दो लोड मालगाड़ी यानि 8 हजार टन लेकर चलते समय पटरी पर दम तोड़ देती है।
अगर ट्रेन चलती भी रहती है तो इतनी धीमी कि 19 किलोमीटर पार करने में दो से ढाई घंटे लग जाते हैं। ऐसे में इन मालगाड़ियों के पीछे-पीछे सभी एक्सप्रेस गाड़ियां चलती रहती हैं। यहां अप और मिडिल लाइन दोनों में मालगाड़ियां चलाई जा रही हैं। इसलिए ट्रेन लेट होती है। बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और डोंगरगढ़ तक तो ट्रेन ठीक चलती है।
पनियाजोब रेलवे स्टेशन के बाद हांफने लगती है ट्रेनें
पनियाजोब स्टेशन से गुदमा तक 53 किलोमीटर सिर्फ दो लाइन है। इसलिए ज्यादातर एक्सप्रेस ट्रेनों को खड़ा कर दिया जाता है। एक एक्सप्रेस ट्रेन खड़ा करने के बाद तीन से चार मालगाड़ियों को गुजारा जाता है। इसी में 27 किलोमीटर के हिस्से में घाट पहाड़ है यहां पर मालगाड़ियों को डबल इंजन लगाकर ले जाना पड़ता है इसमें काफी समय लगता है। इसलिए डोंगरगढ़ से गोंदिया के बीच ट्रेनें 3 से 4 घंटे लेट होती हैं।
गोंदिया से काचेवानी तक दो लाइन है। काचेवानी से तारसा रेलवे स्टेशन तक 69 किलोमीटर में दो लाइन है। तीसरी लाइन का काम पूरा हो चुका है लेकिन इसे कनेक्ट नहीं किया गया है। तारसा से इतवारी होते हुए नागपुर तक तीसरी लाइन का काम होना बाकी है। यहां सिर्फ दो लाइन है इसलिए इस पूरे सेक्शन में मालगाड़ियों की वजह से ट्रेनें पिट रही हैं।