बिलासपुर I चीन, जापान, दक्षिण कोरिया सहित दुनिया के कई देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए भले ही राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग की तैयारी महज दिखावा है। एक सप्ताह पहले तैयारियों को परखने के लिए अफसरों ने मॉकड्रिल किया था, तब अस्पताल में नकली मरीज भर्ती कर इलाज करने का दावा किया था।
अफसर ये भूल गए कि कोरोना जांच के लिए बंद पड़े टेस्टिंग सेंटर को चालू किया जाए और स्टाफ विहीन वायरोलॉजी लैब में संविदाकर्मियों की व्यवस्था की जाए। अब भी स्थिति वही है और वायरोलॉजी लैब में टेक्नीशियन के बिना RT-PCR जांच करने का दावा किया जा रहा है।
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के तेजी से फैलने की आशंका को देखते हुए केंद्र सरकार ने एडवायरी जारी किया है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक भी ली थी, जिसमें स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा की गई। इसके बाद राज्य शासन ने भी मैदानी अमले को निर्देश जारी कर अस्पतालों में बंद पड़े कोरोना वार्ड को नए सिरे से दुरुस्त करने के आदेश दिए गए हैं।
अस्पतालों में बेड और वार्ड तैयार, पर नहीं है जांच की सुविधा
राज्य सरकार के निर्देश पर बीते दिनों स्वास्थ्य अधिकारियों ने सिम्स और जिला अस्पताल के कोविड वार्ड का निरीक्षण किया। निर्देश के मुताबिक जिला प्रशासन के अफसरों की मौजूदगी में नकली मरीज तैयार कर मॉकड्रिल भी किया गया। लेकिन, तब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यह भूल गए कि कोरोना के बढ़ते केस पर नियंत्रण के लिए टेस्टिंग और ट्रेसिंग की आवश्यकता होगी। शायद यही वजह है कि अफसरों ने यह ध्यान ही नहीं दिया कि जब कोरोना के केस आएंगे, तब जांच की जरूरत पड़ेगी और शहर में बंद पड़े टेस्टिंग सेंटर को फिर से शुरू करना पड़ेगा। हालात यह है कि अब तक शहर के सभी टेस्टिंग सेंटर बंद पड़े हैं और स्टाफ दूसरे काम में व्यस्त हैं।
एंटीजन किट एक्सपायर, नए कीट की नहीं है व्यवस्था
जिला अस्पताल और सिम्स में कोरोना की जांच के लिए एंटीजन और RT-PCR टेस्ट करने का दावा किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने सैंपल लेने के लिए अलग-अलग छह जगहों पर सैपलिंग के लिए छह सेंटर बनाए थे, जो पिछले छह महीने से बंद हैं। जानकारों का कहना है कि विभाग के पास एंटीजन किट ही नहीं है। विभाग में जो एंटीजन किट है, वह एक्सपायर हो गया है। वहीं, RT-PCR टेस्ट भी भगवान भरोसे हो रहा है।
बिना टेक्नीशियन के है वायरोलॉजी लैब
सिम्स में जब वायरोलॉजी लैब शुरू किया गया, तब यहां 21 संविदा कर्मियों की नियुक्ति की गई थी। इन कर्मचारियों को तीन माह पहले ही राज्य सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इसी तरह राजनांदगांव और अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के लैब में भी यही स्थिति है। इसके चलते लैब में कोरोना की जांच प्रभावित हो रही है।
स्वास्थ्य और वित्त विभाग में चल रही खींचतान
दरअसल, सिम्स के वायरोलॉजी लैब के 21 कर्मियों की संविदा अवधि तीन माह पहले ही खत्म हो चुकी है। जिसके कारण उन्हें हटा दिया गया है। सिम्स प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने तीन से चार बार शासन को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है। लेकिन, स्वास्थ्य विभाग कभी वित्त विभाग में फाइल भेजने, तो कभी संविदा कर्मियों का एक्सटेंशन आदेश जारी करने का दावा करते हैं। अब कहा जा रहा है कि फाइल वित्त विभाग में अटकी है। जबकि, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कोरोना को लेकर कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी अफसर इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।
गाइडलाइन की उड़ रही धज्जियां
सिम्स प्रबंधन ने कोरोना को लेकर नया आदेश जारी किया है, जिसमें अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मास्क और सैनेटाइजर इस्तेमाल करने वालों को ही प्रवेश देने के आदेश हैं। लेकिन, यहां स्टाफ आदेश का पालन ही नहीं कर रहे हैं। न तो स्टाफ मास्क लगा रहे हैं और न ही सैनेटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं।