नई दिल्ली। साल के पहले दिन हुए बीसीसीआइ की एक अहम बैठक में टीम इंडिया के फिटनेस को बेहतर करने के लिए सेलेक्शन मानक के तौर पर यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट को अनिवार्य किए जाने का फैसला लिया गया है। इस फैसले पर कई क्रिकेटर अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कोई इसे बेहतर मान रहा है तो कोई इसकी आलोचना कर रहा है। टीम इंडिया के पूर्व महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी उन्हीं में से एक हैं जो इस मानक से सहमत नहीं हैं।
उन्होंने अपने कॉलम के माध्यम से यो-यो टेस्ट को लेकर अपनी असहमति जताई है। उन्होंने अपने स्कूल दिनों के बारे में बताते हुए कहा कि “उन दिनों मैं शिन स्पिलीट नाम के एक टेस्ट से परेशान था, जिसे करने के बाद काफी दर्द होता था। मैंने उनसे कहा कि आप हमें ड्रॉप कर दें यदि आपको उन ग्यारह लोगों को चुनना है जो दौड़ने में अच्छे हों। फिटनेस एक ऐसी चीज है जो अलग-अलग खिलाड़ियों के लिए अलग-अलग होती है और इसे एक पैमाने में मापना ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा कि “तेज गेंदबाज के लिए फिटनेस लेवल अलग होता है, स्पिन गेंदबाजों के लिए यह अलग होता है और विकेट कीपर का लेवल हाई होता है और सबसे कम बल्लेबाजों के लिए होता है। इसलिए सबको एक ही मानक पर तौलना ठीक नहीं है।”
आपको बता दें कि 2023 के लिए बीसीसीआइ द्वारा बनाए गए रोडमैप में सेलेक्शन के लिए यो-यो टेस्ट और डेक्सा टेस्ट को अनिवार्य किया गया है, जिसके बाद रोहित को ट्रोल किया जाने लगा था। रोहित फिटनेस को लेकर हमेशा ट्रोलर्स के निशाने पर होते हैं और वह यो-यो टेस्ट में फेल भी हो गए थे।
ऐसे में जब वनडे वर्ल्ड कप का साल है खिलाड़ियों के लिए यो-यो टेस्ट की अनिवार्यता कहीं टीम इंडिया के लिए नुकसानदायक न साबित हो। आपको बता दें कि जब टीम की कमान विराट कोहली के हाथों में थी और मुख्य कोच रवि शास्त्री थे तब इस टेस्ट ने खूब सुर्खियां बटोरी थी।