पटना। देश का विकास राज्यों के आगे बढ़े बगैर संभव नहीं है। गरीब राज्य आगे बढ़ेंगे तभी देश का विकास होगा। केंद्र सरकार राज्य के विकास के लिए फंड नहीं दे रही है। राज्य अपने स्तर से विकास के लिए कर्ज लेने का प्रयास करता है तो केंद्र से उसकी अनुमति नहीं मिलती। ऐसे में गरीब राज्य आगे कैसे बढ़ेगा? हमलोग अपने संसाधन से राज्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं।
उक्त बातें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहीं। वह एएन कालेज पटना में पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा की आदमकद प्रतिमा के अनवारण के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने अत्याधुनिक आडिटोरियम का उद्घाटन भी किया।
उन्होंने कहा कि इससे पहले की केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ इतना भेदभाव नहीं किया था। जब उनके साथ गठबंधन में थे, तब भी राज्य को विकास के लिए फंड नहीं मिल रहा था। उनका ध्यान गरीब राज्यों के विकास पर कभी नहीं रहा। राज्य सरकार अपने संसाधन से विकास कर रही है। यात्रा के दौरान जिलों में जाने पर काफी सुकून मिलता है, गरीब-गुरबा आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा कि सभी के विकास के लिए काम कर रहे हैं। घूमने के दौरान लोगों की जरूरत की जानकारी मिलती है, जिसे पूरा करने का प्रयास होता है। हर क्षेत्र में काम हो रहा है। शिक्षण संस्थान में इस तरह का अत्याधुनिक आडिटोरियम छात्र-छात्राओं को बहुत अच्छा लगेगा।
बजट से विशेष उम्मीद नहीं : नीतीश
केंद्रीय बजट से राज्य की उम्मीद पर नीतीश ने कहा कि क्या मिलेगा; देख लीजिएगा? कोई विशेष उम्मीद नहीं है। गरीब राज्यों के विकास को लेकर कुछ विशेष नहीं होने वाला है। विशेष राज्य के दर्जे के लिए भी काफी प्रयास किया गया। रेल बजट को मुख्य से अलग करने की मांग को सही बताते हुए सीएम ने कहा कि मुख्य बजट से भी ज्यादा रेल पर चर्चा लोकसभा और राज्यसभा में होती थी। लोगों की भी काफी रुचि होती थी।
भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में रेल मंत्री रहने का अवसर मिला। उस समय काफी काम हुआ। लेकिन, आज की सरकार सिर्फ अपने काम को बता रही है। अटलजी ने कितना काम किया, यह आज कोई नहीं बता रहा है। केंद्र की सरकार को विकास के बजाए आत्म प्रचार से मतलब है।
किसी के कहने से जदयू थोड़े ही कमजोर हो जाएगा
मुख्यमंत्री ने जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से जुड़े सवाल पर कहा कि कुछ लोग चर्चा में बने रहने के लिए कुछ-कुछ बोलते रहते हैं। पार्टी कमजोर होने की बात कही जा रही है। हकीकत है कि पार्टी की सदस्यता अभी सबसे ज्यादा है। 75 लाख से अधिक लोग जदयू से जुड़े हुए हैं। पहले से पार्टी के सदस्यों की संख्या काफी बढ़ी है। किसी के कहने से जदयू थोड़े ही कमजोर हो जाएगा। जिनको जहां जाना है जाएं, जितना बोलना हैं बोलते रहें। जिस दिन इच्छा हो चले जाएं।