रायपुर। चारों ओर से फायरिंग हो रही थी। ऐसे समय में जब अपने जिंदगी का पता न हो, उस वक्त टीम का नेतृत्व कर रहे वैभव मिश्रा ने बहादुरी का परिचय दिया। नक्सलियों के खिलाफ अपनी जान की परवाह न करते हुए फायरिंग करते हुए आगे बढ़े। इससे नक्सलियों में भी दहशत पैदा हो गई थी। ये वीरता की कहानी है वैभव मिश्रा की। यही वजह है कि उन्हें 26 जनवरी को राष्ट्रपति वीरता पुस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। वैभव अभी रायपुर पुलिस लाइन में निरीक्षक पद पर पदस्थ हैं।
नक्सलियों ने पुलिस बलों पर की अंधाधुंध फायरिंग
निरीक्षक वैभव ने उस घटना को याद करते हुए बताया कि 15 अप्रैल 2020 को डा. अभिषेक पल्लव पुलिस अधीक्षक दंतेवाड़ा को सूचना मिली कि 60-70 सशस्त्र माओवादी (वरिष्ठ माओवादी कमलू पुनेम, डीवीसीएम, चंद्रन्ना डीवीसीएम, संजय कडती डीवीसीएम और अन्य सहित) के होने की सूचना मिली। माओवादी के पश्चिम बस्तर संभाग के पूर्व विस्तृत परिचालन योजना बनाई गई थी। इसमें डीआरजी, सीआरपीएफ, एसटीएफ और बस्तरिया बटालियन को मिशन के लिए भेजा गया। अगली सुबह जब पुलिस दल पोरवाड़ा के जंगलों के बीच पहुंचा तो घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने पुलिस बलों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। रिजर्व इंस्पेक्टर नक्सल आपरेशन वैभव मिश्रा के नेतृत्व में डीआरजी ग्रुप-2 ने तुरंत फायर किया और अन्य डीआरजी ग्रुप ने घेराबंदी शुरू कर दी और आत्मरक्षा में फायरिंग शुरू कर दी।
निरीक्षक वैभव ने किया था अपने दल का नेतृत्व
डीआरजी-2 के रिजर्व इंस्पेक्टर नक्सल आपरेशन वैभव मिश्रा ने जमकर संघर्ष किया और अपने दल का नेतृत्व किया। अपनी टीम का मार्गदर्शन किया। उन्होंने पुलिस उपाधीक्षक देवांश राठौड़ को वायरलेस सेट के माध्यम से सूचित किया जो डीआरजी टीम के ओवरआल पार्टी कमांडर थे। करीब 30 मिनट तक फायरिंग चलती रही। फायरिंग रुकने के बाद पूरे इलाके को सील कर दिया गया और घेराबंदी कर गहन तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान एक शव बरामद हुआ, जिसकी पहचान कतुलनार निवासी मासो सोढ़ी के रूप में हुई, जो पश्चिम बस्तर संभाग एक्शन टीम कमांडर का प्रभार संभाल रहा था। सुरक्षा बलों को सफलता दिलाने में रिजर्व इंस्पेक्टर नक्सल आपरेशन वैभव मिश्रा की भूमिका अहम रही। वह फायरिंग करते हुए आगे बढ़े और आर्क-आफ-फायर में घुस गए, जिससे नक्सलियों में दहशत फैल गई।