छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ : सरकार ने चार अस्पतालों को किया निलंबित, रायपुर के एक अस्पताल पर 6 लाख का जुर्माना

रायपुर : स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के ऑडिट में बड़ी गड़बड़ी पकड़ी है। सामने आया है कि इस योजना के तहत स्मार्टकार्ड से कैशलेस इलाज के लिए भर्ती मरीजों से भी अस्पतालों ने अतिरिक्त रकम ली है। ऑडिट में पकड़े गए चार अस्पतालों पर कार्रवाई हुई है। उसमें से चार अस्पतालों पर जुर्माना लगाने के साथ एक-एक साल के लिए निलंबित किया गया है। वहीं रायपुर के एक अस्पताल पर छह लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लगाया गया है। इस अस्पताल से मरीजों को भी पैसा दिलाया जाना है।

अधिकारियों ने बताया, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत पंजीकृत अस्पतालों की निगरानी का एक ऑनलाइन सिस्टम बना हुआ है। इसी के जरिये योजना के तहत उपचार लेने वाले मरीजों का ऑडिट किया जाता है। ऑडिट के दौरान कुछ अनुबंधित निजी अस्पतालों में गड़बड़ियां पाई गई थीं। इसके आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक और योजना के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने ऐसे अस्पतालों पर कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए। इस आदेश के मुताबिक बिलासपुर के श्री बालाजी हॉस्पिटल को एक साल के लिए निलंबित किया है।

नवापारा रायपुर के अंजलि नर्सिंग होम पर तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाकर उसको एक साल के लिए निलंबित किया गया है। वहीं के माहेर हॉस्पिटल के खिलाफ पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाकर एक साल का निलंबन हुआ है। एक और अस्पताल शाह नर्सिंग होम पर तीन लाख रुपए का जुर्माना लगाकर एक साल के लिए निलंबन की कार्रवाई की गई है। रायपुर के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के अंतर्गत उपचारित मरीजों से अतिरिक्त राशि लिए जाने के मामला था। इस अस्पताल पर छह लाख 16 हजार 834 रुपए का जुर्माना लगाया गया है। साथ ही इतनी ही राशि संबंधित मरीजों को वापस दिलाने की बात कही गई है।

ऐसी दिक्कतों पर मरीज कर सकते हैं शिकायत

अधिकारियों का कहना है, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना में अनुबंधित अस्पतालों में इलाज के समय ऐसे मरीजों का कैशलेस इलाज होता है। इसमें किसी भी तरह की दिक्कत होने पर मरीज या उसके परिजन सीधे टोल-फ्री नंबर 104 या 14555 पर शिकायत कर सकते हैं। स्वास्थ्य विभाग खुद भी ऑनलाइन सॉफ्टवेयर में उपलब्ध डेटा का ऑडिट करता रहता है। गड़बड़ी पाए जाने पर राज्य नोडल एजेंसी द्वारा समय-समय पर कार्यवाही की जाती है ताकि मरीजों को निःशुल्क व समुचित उपचार मिल सके।