बिलासपुर। कानन पेंडारी जू में नर शावक बाघ मितान की फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया वायरस से मौत हो गई। वहीं, दो मादा शावक इसकी चपेट में हैं। उनकी जान खतरे में है। इसीलिए दोनों को आइसोलेट कर दिया गया है। इस घटना से जू प्रबंधन सकते में है। शावकों की 24 घंटे निगरानी की जा रही है।
सोमवार को बाघ मितान को दस्त हुआ था। इसके साथ कमजोर भी दिखाई दे रहा था। ऐसे में उसे दवा देने के साथ निगरानी में रखा गया। अगले दिन भी सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी की गई। रात में चारों शावक व मां रंभा केज में सो रहे थे। बुधवार की सुबह केज में पहुंचे तो तीनों शावक व मां रंभा में हलचल थी, लेकिन नर शावक मितान में किसी तरह हलचल नहीं दिखा। तब तत्काल चिकित्सक व अन्य अधिकारियों को बताया। सभी आनन-फानन में जू पहुंचे।
इस बीच जब शावक का परीक्षण किया गया, तो उसकी मौत हो चुकी थी। दो चिकित्सकों ने मृत नर शावक का पोस्टमार्टम किया। लंग, लीवर व इंटेस्टाइन में फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया पाया गया। यह खतरनाक वायरस है। इससे जू प्रबंधन सकते में आ गया। इसके बाद जब अन्य तीन मादा शावकों की जांच की गई तो आनंदी व दिशा नाम की मादा शावक के शरीर का तापमान काफी अधिक था। इस पर दोनों को तत्काल अलग कर आइसोलेट कर दिया गया है। वहीं, तीसरी शावक रश्मि स्वस्थ है। इसलिए उसे मां के साथ ही रखा गया है। वह अभी ठीक है।
डीएफओ विष्णु नायर ने बताया कि फेलाइन पेन ल्यूकोपेनिया वायरस बाहर से नहीं आता है, बल्कि मौसम में परिवर्तन के कारण कैट फैमिली के वन्य प्राणियों में शरीर में होता है। मौसम बदलते ही यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, उसी समय यह हावी हो जाता है। मितान शावक के साथ ही यही हुआ है। जू में इस फेमिली के जितने भी वन्य प्राणी हैं, उन सभी का परीक्षण व निगरानी कराई जा रही है।
शावकों के लिए है खतरनाक
यह वायरस शावकों को ही प्रभावित करते हैं, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है। जिस शावक की मौत हुई, उसकी उम्र नौ महीने की है। रंभा बाघिन ने एक साथ चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें एक नर और तीन मादा शामिल है।
सीसीटीवी से निगरानी
वायरस की इस घटना के बाद जू प्रबंधन सकते में हैं। यही वजह है कि रेस्क्यू सेंटर में दोनों मादा शावकों को रखने के अलावा कैमरे भी लगाए गए हैं। कैमरे से पूरी रात उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। इसके अलावा चिकित्सक से लेकर डीएफओ व अन्य कर्मचारी भी जू में मौजूद रहे।
सुस्ती के साथ पतला दस्त है लक्षण
इस संबंध में कानन पेंडारी जू के चिकित्सक डा. चंदन का कहना है कि इस वायरस का प्रारंभिक लक्षण वन्य प्राणियों का सुस्त होना है। इसके अलावा पतला दस्ता और खानपान भी छाेड देते हैं। यह एक तरह का संक्रमण है। इसका उपचार संभव है। उसी विधि से इलाज भी किया जा रहा है। लेकिन अगले 10 दिन तक जू के लिए किसी जोखिम से कम नहीं है।