नईदिल्ली I जिस वक्त तुर्की में भूकंप आया एक प्रेग्नेंट महिला मलबे के नीचे दबी जिंदगी-मौत से लड़ रही थी. उसी दौरान उसके पेट में दर्द उठा. वो मां बनने वाली थी. नौ महीने से जिस पल का बेसब्री का इंतजार था वो इतना खौफनाक हो जाएगा ये किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा. जमींदोज इमारत के नीचे महिला ने नवजात को जन्म दिया. जिस क्षण बच्चे का जन्म हुआ उसकी मां अलेप्पो सीरिया (Syria )में भूकंप के मलबे के नीचे थी. पैदा होने के बाद बच्चे की पहली आवाज सुनी और उसकी मौत हो गई. एक और वीडियो, एक दो साल का बच्चा मलबे पर दबा हुआ है. जैसे ही उसके रोने की आवाज रेस्क्यू टीम ने सुनी उसको बचाने के लिए भागे. वो बच्चा सुरक्षित निकाला गया है. हालांकि वो खून से लथपथ है.
लफ़्ज़ दम तोड़ रहे हैं. अल्फ़ाज पिरो नहीं पा रहा. कहां से शुरू करूं कहां पर खत्म करूं कुछ समझ नहीं आ रहा. कलम तोड़ दें या जज्बातों का गला घोंट दे… इन लाशों का ढेर, मलबा, धुएं का गुबार, पुलिस के सायरन, एंबुलेंस की लाइन, बिलखते लोग, अपनों की तलाश में भटकते इंसानों को हम नहीं देखना चाहते. फिर भी नजरें वहीं जा रही है. वो बच्चा तो कल तक अपने मां-बाप की गोद में खेलता होगा आज जिंदगी मौत की जंग लड़ रहा है. वो किसी और की गोद में है वो उसकी जान बचाने के लिए भाग रहा है. वो बोल नहीं सकता. नहीं तो अपने वालिद से पूछता जरूर पापा, ये भूकंप क्या होता है? वो पूछता कि पापा, मुझे लेकर भागने वाले ये अंकल कौन है?
..क्योंकि मंजर ऐसा ही है. जहां तक देख रहा हूं सिर्फ लाशें दिख रही हैं. बिना कफन की ये लाशें भी अपनों की तलाश में हैं. तुर्की का मंजर इतना खौफनाक है कि जिसको लिख पाना किसी भी शायर, लेखक, के बस का है ही नहीं…वो एक नन्हीं सी जान, जिसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी. खून से लथपथ हो गया है. दर्द इतना भयंकर की उसकी चीखे भी खामोश है.
एक इंसान ज़मीदोज़ इमारत के नीचे दबे इस बच्चे को निकालकर भाग रहा है. उसकी मासूमियत किसी भी कलेजे को चीर देगी. इस बच्चे की उम्र तीन से चार साल के बीच है. इसके मां-बाप का कुछ पता नहीं. तुर्की में प्रकृति का प्रकोप इतना भयंकर था कि हजारों लोगों ने अपनों को खो दिया. सीरिया और तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप के बाद अजाज में मलबे से एक बच्चे को निकाला गया. सोमवार तड़के 7.8 तीव्रता का भूकंप आया, जब लोग सो रहे थे और उसके बाद के घंटों में दर्जनों आफ्टरशॉक्स महसूस किए जा चुके हैं.
सोमवार तड़के तकरीबन चार बजे भयंकर भूकंप से 5000 इमारतें धराशायी हो गईं. अब तक 4000 से ज्याद मौतें हो चुकी हैं. WHO का कहना है कि मौतों का आंकड़ा 8 गुना और बढ़ सकता है. पूरा विश्व तुर्की की मदद कर रहा है. भारत भी अपनी एनडीआरएफ की टीमें भेज रहा है. आज ऐसा मंजर है कि हर देश दोस्ती दुश्मनी भूल गया है. वहां की विध्वंसक तस्वीरें देख लोगों की आंखें नम हो रही है.