नईदिल्ली I एक विशेष अदालत ने भगोड़े हीरा व्यापारी और पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता की याचिका को खारिज कर दिया। पूर्वी मेहता ने अपनी याचिका में अमेरिका में अपने भाई के खिलाफ कार्यवाही से संबंधित मामले में अदालत से हस्तक्षेप की मांग की थी। मेहता ने अदालत से अपील की थी कि वह प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) को अमेरिका में उसके भाई के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का निर्देश दे। नीरव मोदी के खिलाफ अमेरिकी दिवालियापन मामले में पूर्वी मेहता को प्रतिवादी बनाया गया है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम के तहत मामलों के लिए विशेष अदालत के समक्ष पिछले साल अप्रैल में दायर याचिका में पूर्वी मेहता (47) ने अदालत से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अमेरिकी अदालत के समक्ष मामले में हस्तक्षेप करने का निर्देश देने और कम से कम अपनी संपत्ति के संबंध में निर्देश मांगने के लिए कहा था। मेहता ने आग्रह किया था कि इसके अलावा, पीएनबी को अमेरिकी कार्यवाही के ट्रस्टी को सूचित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए कि प्रक्रियाओं की बहुलता और संभावित दोहरे खतरे से बचने के लिए उन्हें जारी नहीं रखा जाना चाहिए।
पूर्वी मेहता प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत दायर बैंक धोखाधड़ी मामले में सरकारी गवाह बन गई हैं। दरअसल, दिसंबर 2019 में 13,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) धोखाधड़ी के प्राथमिक संदिग्ध नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी करार दिया गया था। 51 वर्षीय हीरा कारोबारी फिलहाल ब्रिटेन की जेल में बंद है। नीरव मोदी की बहन पूर्वी मेहता और उनके पति मयंक मेहता को जनवरी 2021 में कोर्ट के सामने पूरा और सही खुलासा करने की शर्त पर इस मामले में गवाह बनाया गया था।
विशेष न्यायाधीश एसएम मेनजोगे ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की सुनवाई के बाद मेहता की याचिका खारिज करते हुए कहा कि एफईओ अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जिसके द्वारा उनके द्वारा मांगी गई राहत दी जा सके। न्यायाधीश ने कहा कि यह अदालत किसी भी व्यक्ति को भारत या देश के बाहर किसी भी मामले में मुकदमा चलाने से नहीं रोक सकती है।