नई दिल्ली। महाशिवरात्रि से पहले पत्नी पार्वती ने अपना लिवर देकर लिवर सिरोसिस से पीड़ित पति शिव की जान बचाने में सफल रही है। दोनों का रक्त समूह अलग होने पर भी सर गंगा राम अस्पताल में मरीज का सफल लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। मरीज के स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
लगभग छह माह पहले 29 वर्षीय शिव बिस्तर पर बेहोश हो गया था। जांच में यह पाया गया कि लिवर सिरोसिस से पीड़ित होने के कारण उसका लिवर फेल हो गया था। सर गंगा राम अस्पताल में चीफ लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. नैमिष मेहता ने बताया कि मरीज बिहार के रहने वाले हैं। यहां आने पर उन्हें लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई, लेकिन परेशानी यह थी कि उनका रक्त समूह (बी) परिवार के किसी अन्य सदस्य से नहीं मिल रहा था।
ब्लड ग्रुप अलग होने से डॉक्टरों ने बरती सावधानी
उनकी पत्नी पार्वती अपना लीवर दान करने को तैयार थीं लेकिन उनका रक्त समूह A था। इस स्थिति में उनके स्वजनों की सहमति से ”ब्लड ग्रुप इनकम्पैटिबल लिवर ट्रांसप्लांटेशन का फैसला किया गया। दान करने व प्राप्त करने वाले का रक्त समूह अलग होने के कारण इसमें विशेष सावधानी रखनी पड़ती है।
व्यस्कों में होता है ज्यादा खतरा
वयस्कों में इसे लेकर अधिक खतरा रहता है, क्योंकि बच्चों में अलग रक्त समूह वाले अंग को स्वीकार करने की क्षमता ज्यादा होती है। आपरेशन के लिए डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की 21 सदस्यीय टीम बनाई गई। लगभग 12 घंटे तक चली सर्जरी के बाद मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। लगभग एक पखवाड़े तक अस्पताल में रखने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई।
उन्होंने बताया कि इस तरह के मरीज को संक्रमण का ज्यादा डर रहता है, इसलिए सर्जरी के बाद विशेष निगरानी रखनी होती है। किसी तरह की परेशानी होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है। मरीज अपनी सुविधा अनुसार ऑनलाइन संपर्क कर सकते हैं।