महासमुंद : छत्तीसगढ़ के महासमुंद स्थित जिला अस्पताल में बुधवार को इलाज नहीं मिलने के कारण जन्म से पहले ही एक बच्चे की मौत हो गई। महिला को प्रसव पीड़ा के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां पांच घंटे तक वह तड़पती रही, लेकिन डॉक्टर देखने नहीं पहुंचे। इस बीच हालत बिगड़ गई। बाद में महिला का ऑपरेशन किया गया, लेकिन तब तक गर्भ में ही बच्चे की मौत हो चुकी थी। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया। अब अस्पताल प्रबंधन एक- दूसरे पर आरोप लगा रहा है। खास बात यह है कि महिला की मां भी मितानिन है, लेकिन इसके बाद भी किसी ने उसकी सुध नहीं ली।
हालत बिगड़ने पर किया गया जिला अस्पताल रेफर
जानकारी के मुताबिक, शहर के वार्ड 6, नयापारा निवासी काजल मानिकपुरी (24) पत्नी भवानी दास मानिकपुरी को 27 फरवरी की रात प्रसव पीड़ा हुई। इस दौरान वह डिलीवरी के लिए अपने परिजनों के साथ अपने मायके ग्राम खट्टी चली गई। चूंकि काजल मानिकपुरी की मां लक्ष्मीन ध्रुव स्वास्थ्य विभाग की मितानिन है। उन्हें भरोसा था कि खट्टी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में नॉर्मल डिलीवरी हो जाएगी। लिहाजा रात करीब 10.30 से 11 बजे उसे स्वास्थ्य केंद्र में लाया गय। वहां उनका चेकअप किया गया, लेकिन बिगड़ती कंडीशन को देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।
सुबह का स्टाफ भी छोड़कर चला गया
अगले दिन 28 फरवरी कि सुबह 10.30 बजे काजल को मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उसे गायनिक वार्ड में रखा गया। प्रसव पीड़ा से जूझ रही काजल को डिलीवरी रूम लेकर गए। वहां ड्यूटी पर तैनात नर्सों ने चेक किया और नॉर्मल डिलीवरी हो जाने की बात कहते हुए इंतजार की बात कही। घंटों इंतजार के बाद भी कोई डॉक्टर महिला को देखने नहीं पहुंचा। आखिरकार तीन घंटे बाद सुबह 8 से 2बजे की शिफ्ट में तैनात ड्यूटी डॉक्टर प्रतिमा कोसेवारा, महिला को देखने पहुंची। इस दौरान उन्होंने भी महिला का सिजेरियन डिलीवरी कराने के बजाए इंतजार करने को कहा।
दोपहर बाद ऑपरेशन हुआ तो बच्चे की मौत हो चुकी थी
वहीं काजल की बिगड़ती हालत देखकर उसकी नर्स मां लक्ष्मी लगातार डॉक्टरों और स्टाफ से सीजर के जरिए डिलीवरी कराने की गुहार लगाती रही। आरोप है कि किसी ने भी उनकी नहीं सुनी। परिजनों का आरोप है कि शिफ्ट खत्म होने के बाद डॉक्टर व स्टाफ ऐसे ही छोड़कर चले गए। दोपहर करीब 2.30 बजे डॉक्टर हेमंत चंद्रवंशी ने काजल को अटेंड किया तो उन्होंने पाया कि डिलीवरी कराने में काफी लेट हो चुका है और बच्चे की धड़कन रुक गई है। उन्होंने दोपहर करीब 3.30 जब सीजर कर बच्चे को बाहर निकाला गया तो वह दम तोड़ चुका था।
एक-दूसरे पर आरोप लगा रहा स्टाफ
डॉक्टर प्रतिमा कोसेवारा का कहना है कि जब महिला को अस्पताल लाया गया था तब उसकी जानकारी उनको नहीं थी। उन्होंने उपस्थित स्टाफ नर्स पर जिम्मेदारी मढ़ते हुए कहा कि, महिला को अस्पताल लाने के बाद डिलीवरी रूम में रखा गया था। उसकी भर्ती स्टाफ नर्स ने नहीं की थी। वह राउंड पर थी और करीब 70 से 75 पेसेंट को देखने होते हैं। दोपहर 1.30 बजे चेक किया तो उसकी कंडिशन ठीक थी और बच्चे की हार्टबीट चल रही थी। इसलिए नॉर्मल डिलीवरी के लिए इंतजार करने को कहा।
भाजपा महिला मोर्चा का अस्पताल में हंगामा
प्रसव पीड़ा के दौरान लापरवाही और बच्चे की मौत की खबर के बाद भाजपा महिला मोर्चा और युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने जिला अस्पताल सह मेडिकल कॉलेज पहुंचकर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जमकर हंगामा किया। महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष सुधा साहू ने इस दौरान कहा कि, अस्पताल में प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला की अनदेखी यहां तैनात डॉक्टरों और स्टाफ की घोर और गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। जिसके चलते एक परिवार को अपने घर का चिराग खोना पड़ा है। किसी अन्य परिवार के साथ ऐसी घटना ना हो इस बात को लेकर सभी ने जमकर हंगामा किया।
दोषी पाए जाने पर होगी कार्रवाई
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर बसंत महेश्वरी ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने गायनी डिपार्टमेंट से इसका जवाब मांगा है। साथ ही जनप्रतिनिधि भी मामले की शिकायत लेकर पहुंचे थे, जिस पर उन्हें भी रिटर्न में आवेदन देने की बात को लेकर चर्चा हुई है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज में मैन पावर की कमी होने की बात स्वीकार करते हुए, मामले की जांच कराने की बात कही। कहा कि, यदि जांच में कोई भी दोषी पाया जाता है तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।