नई दिल्ली I अदालत ने वर्ष 2012 में देश के खिलाफ खिलाफ युद्ध छेड़ने का षडयंत्र रचने के मामले में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सह-संस्थापक यासीन भटकल व अन्य को प्रथम दृष्टया दोषी माना है। अदालत ने कहा भटकल और एक अन्य अभियुक्त के बीच बातचीत से स्पष्ट है कि उन्होंने कथित तौर पर सूरत में एक परमाणु बम के विस्फोट की साजिश रची थी।
पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने कहा कि आरोपियों की चैट से पता चलता है कि सूरत शहर में परमाणु बम लगाने और इस तरह के आतंकवादी कृत्य को अंजाम देने से पहले सूरत शहर से मुसलमानों को निकालने के लिए आईएम की योजना को दर्शाती है। अदालत ने भटकल के अलावा मोहम्मद दानिश अंसारी सहित उसके कई सदस्यों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार हैं I
अदालत ने आदेश में कहा कि भटकल न केवल पहले की आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के अन्य आरोपियों के साथ शामिल था, बल्कि हथियार और गोला-बारूद इकट्ठा करने के लिए नेपाल में माओवादियों की सहायता से भविष्य की आतंकवादी गतिविधियों की साजिश में भी शामिल था।
अदालत ने कहा गवाहों के बयानों में स्पष्ट रूप साबित होता है कि आरोपियों ने आतंक पैदा करने और पूरे समाज को अस्थिर करने के लिए विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की बड़ी साजिश रची।
अदालत ने भटकल, अंसारी, मोहम्मद आफताब आलम, इमरान खान, सैयद, ओबैद उर रहमान, असदुल्लाह अख्तर, उज्जैर अहमद, मोहम्मद तहसीन अख्तर, हैदर अली और जिया उर रहमान के खिलाफ आरोप तय किए हैं। इसके साथ ही अदालत ने मंजर इमाम, आरिज खान और अब्दुल वाहिद सिद्दीबप्पा को आरोपमुक्त कर दिया है। अदालत ने कहा कि इनके खिलाफ अभियोजन पक्ष प्रथम दृष्टया सबूत देने में विफल रहा है।
अदालत ने आरोप तय करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों ने भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आपराधिक षडयंत्र रचा है। अभियुक्तों ने आपराधिक साजिश के तहत आईएम के सदस्यों ने देश के विभन्न हिस्सों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बड़े पैमाने पर नए सदस्यों की भर्ती की। साथ ही उन्होंने पाकिस्तान स्थित सहयोगियों के साथ स्लीपर सेल को सक्रिय मदद की।
जांच एजेंसी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अदालत से कहा कि आईएम के सदस्यों और उससे जुड़े संगठनों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए हवाला के जरिए विदेशों से नियमित धन प्राप्त हुआ। आरोपी षडय़ंत्र के तहत नए सदस्यों के साथ बाबरी मस्जिद, गुजरात दंगों और मुसलमानों के अन्य कथित उत्पीड़न का जिक्र करते थे, जिससे मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बना कर उन्हें अपने संगठन में भर्ती किया जा सके।