छत्तीसगढ़

पीएम मोदी के दादा और राहुल की गदा, क्या हैं इसके सियासी मायने, हनुमान जयंती पर ऐसे साधी गई सियासत

नईदिल्ली : देश के अलग-अलग राज्यों में गुरुवार को हनुमान जयंती मनाई जा रही है। सोशल मीडिया से लेकर मंदिरों और अलग-अलग जगहों पर बड़े कार्यक्रम हो रहे हैं। एक तरह से हनुमानजी को अपना प्रेरणा स्रोत बताते हुए उनकी न सिर्फ पूजा अर्चना कर रहे हैं, बल्कि मंदिरों में सुंदरकांड और हनुमान चालीसा भी पढ़ी जा रही है। हनुमान जयंती पर इन आयोजनों के बीच ‘सियासी अखाड़े’ में भी हनुमानजी के नाम की जोर आजमाइश चल रही है। भाजपा जहां हनुमानजी की अलौकिक शक्तियों के साथ उनकी खासियतों से अपनी पार्टी को जोड़ रही है, वही कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर हनुमान भक्ति में लीन दिखी। भाजपा के स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने जहां हनुमानजी को “हनुमान दादा” कहकर संबोधित किया, वहीं कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने हनुमान जी की गदा का फोटो लगाकर अपनी आस्था और गदा के सांकेतिक अर्थ भी साझा किए।

प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमानजी को ‘हनुमान दादा’ कहा

हनुमान जयंती पर कांग्रेस से लेकर भाजपा और आम आदमी पार्टी से लेकर तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी शुभकामनाएं दीं। लेकिन सियासी मैदान के महारथियों की ओर से दी जाने वाली शुभकामनाओं में ऐसे सियासी संदेश चुके थे, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में अब चर्चा होनी शुरू हो गई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भाजपा के स्थापना दिवस पर अपने भाषण की शुरुआत ही हनुमानजी की शक्तियों और उनकी विशेषताओं को लेकर की। मोदी ने हनुमानजी की शक्तियों के बारे में भाजपा नेताओं और देश दुनिया में उन्हें सुन रहे कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि 2014 के बाद भारत उस बजरंगबली की तरह से अपने अंदर महाशक्ति और सोई हुई शक्तियों का आभास कर चुका है और आज भारत समुंदर जैसे विशाल चुनौतियों को पार कर उनका मुकाबला करने में पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हो चुका है।

मोदी ने कहा कि 2014 से पहले हमें हमारी इस ताकत का एहसास ही नहीं कराया गया। उन्होंने देश में परिवारवाद भ्रष्टाचार और कानून व्यवस्था पर हनुमानजी का उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमानजी को जब राक्षसों का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने अत्यंत साहस और ताकत के साथ उसका मुकाबला भी किया। ठीक इसी तरह भाजपा भी इन समस्याओं से मुकाबला करने के लिए मजबूती के साथ संकल्प बद्ध है। अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमानजी को “हनुमान दादा” कहकर संबोधित करते हुए उनके आशीर्वाद की कामना की और जनता जनार्दन को ईश्वर का रूप बताया।

राहुल गांधी ने पोस्ट की गदा की फोटो

हनुमान जयंती पर सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नहीं बल्कि कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी। हालांकि जिस अंदाज में राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर हनुमान जयंती की शुभकामनाएं दी हैं, उसे लेकर भी सियासी गलियारों में अलग-अलग तरह की चर्चाएं हैं। दरअसल राहुल गांधी ने हनुमान जयंती पर हनुमानजी की कोई भी तस्वीर ना पोस्ट करते हुए उनकी गदा को पोस्ट किया है। अब राहुल गांधी की गदा पोस्ट करने के बाद चर्चाएं हो रही हैं कि क्या राहुल गांधी ने हनुमान जी की गदा के माध्यम से सियासी युद्ध के उद्घोष का संदेश दिया है।

कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हनुमानजी और उनकी गदा कि सियासी मायने निकालने का कोई मतलब नहीं है। उनका कहना है कि हनुमानजी की गदा अन्याय न सहने का वह संबल है, जो कि अन्याय की लड़ाई में न्याय की राह पर आगे चलता है। उनका कहना है जिस तरीके से रावण ने अधर्म को बढ़ावा देकर खुद को ही सर्वशक्तिमान मानते हुए अहंकारी हो गया, तो हनुमान जी की गदा ने रावण के अहंकार को तोड़ दिया था। कांग्रेस के नेता का तर्क है कि राहुल गांधी ने हनुमानजी की गदा के माध्यम से अहंकारियों का अहंकार तोड़ने के क्रम में अपने इष्ट देव की ना सिर्फ आराधना की है, बल्कि देशवासियों को बधाई दी है। राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी के अलावा कांग्रेस की प्रियंका गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक ने हनुमान जयंती पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।

विश्लेषक बता रहे, ये हैं सियासी मायने

सियासी गलियारों में चर्चा इस बात की हो रही है कि कांग्रेस और भाजपा समेत आम आदमी पार्टी और अन्य ने पार्टी के नेताओं की ओर से हनुमान जयंती पर दी गई बधाईयों के कितने सियासी मायने हैं। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि सिर्फ हनुमान जयंती ही नहीं तमाम अन्य जयंतियों पर लगातार देखा जाता है कि राजनीतिक दल अपने अपने सियासी एजेंडे के साथ दिखते हैं। सियासी विश्लेषकों का कहना है कि प्रभु श्रीराम के साथ-साथ हनुमानजी और अन्य देवी देवताओं का सियासत में पहले से राजनैतिक दल अपने राजनैतिक लाभ के लिए इनका इस्तेमाल करते आए है। हालांकि कोई भी राजनीतिक दल इसे राजनीतिक तौर पर प्रकट नहीं करता है, बल्कि उसे आस्था के रूप में देश की जनता के बीच लेकर जाता है। जनता को इस बात का पूरा अंदाजा होता है कि किस भाव से देवी देवताओं का नाम लिया जा रहा है।

हनुमान जयंती से पहले भी हनुमान जी का नाम लेकर सियासी मैदान में राजनीतिक पार्टियां उनका नाम लेती रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक से हनुमानजी का रिश्ता जोड़ा, तो इससे पहले राहुल गांधी भी हनुमानजी को याद कर चुके हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भाजपा के बड़े कद्दावर नेताओं में शुमार सभी नाम हनुमान जयंती पर देशवासियों को शुभकामनाएं देते रहे हैं। राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता रहे प्रोफेसर जीवन दास गुप्ता कहते हैं कि सियासी दल उन सभी नामों का बखूबी इस्तेमाल करते हैं जिससे उन्हें राजनीतिक रूप से फायदा हो रहा हो। उनका मानना है कि इसमें राम, कृष्ण, हनुमान, परशुराम, से लेकर भीमराव अंबेडकर और तमाम अन्य जाति समुदाय विशेष वर्ग से जुड़े नेताओं और महापुरुषों का राजनीतिक दल जमकर सियासी रूप से इस्तेमाल करते रहे हैं।

हालांकि भाजपा से जुड़े वरिष्ठ नेता उत्तर प्रदेश भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि भगवान राम और हनुमानजी समेत अन्य देवी-देवता उनकी पार्टी के लिए राजनीति नहीं, बल्कि आस्था का केंद्र हैं। देवी देवताओं के नाम लिए जाने को सियासत से बिलकुल नहीं जोड़ा जाना चाहिए।