छत्तीसगढ़

आईपीएल को सुयश के रूप में मिला नया सितारा, पिता को कैंसर, पैसों की तंगी और मैदान की राजनीति…. आसान नहीं रही हैं KKR के इस स्टार प्लेयर की राह

नई दिल्ली । मध्यम वर्ग परिवार से आने वाले सुयश शर्मा ने तमाम परेशानियों और तनाव के बावजूद हार नहीं मानी और उनके रास्ते में आने वाली हर चुनौती का सामना किया। दिल्ली के भजनपुरा से आने वाले इस युवा स्पिनर गुरुवार की रात कोलकाता के ईडन गार्डेंस मैदान पर अपनी लेग ब्रेक और गुगली की ऐसी चमक बिखेरी कि अब हर कोई इस युवा स्पिनर की बात कर रहा है।

दिल्ली के कोच रणधीर सिंह ने कहा, सुयश के लिए यह यात्रा आसान नहीं रही है। वह दिल्ली के पूर्व स्पिनर सुरेश बत्रा का शिष्य था और उनके क्लब के लिए खेलता था। कोविड-19 के कारण हमने सुरेश जी को गंवा दिया और फिर वह मेरे पास आया , क्योंकि वह मैच अभ्यास चाहता था। मैंने डीडीसीए लीग में अपने मद्रास क्लब में और ओपन टूर्नामेंट में ‘रन-स्टार’ क्लब में खेलने का मौका दिया।

रणधीर ने कहा, दिल्ली क्रिकेट में जब तक आपके पास किसी क्लब या व्यक्ति का हाथ आपके ऊपर न होने के बावजूद किसी टीम में चयन होना बड़ी बात है। डीडीसीए चैलेंजर ट्राफी में सुयश ने सात विकेट लिए थे और उसे अंडर-25 टीम में मौका मिला, लेकिन लाल गेंद क्रिकेट (सीके नायडू ट्राफी) से उसे बाहर कर दिया गया।

कैंसर से जूझ रहे हैं पिता ने कहा, पिछला एक साल सुयश के लिए काफी मुश्किल भरा रहा क्योंकि वह संपन्न परिवार से नहीं है। उसके पिता को कैंसर होने का पता चला। वह हमेशा दिल्ली के पूर्व स्पिनर और मुंबई इंडियंस के मौजूदा मैनेजर (टैलेंट स्काउट) राहुल का कर्जदार रहेगा जिन्होंने उसके पिता के उपचार में उसकी काफी मदद की। राहुल की बदौलत उसके पिता का इलाज मुंबई में किया गया। वह मुंबई इंडियंस के ट्रायल्स में शामिल हुआ।

केकेआर ने सुयश को दिया मौका

पिछले साल हुई नीलामी में केकेआर ने सुयश को अपने साथ जोड़ा था। केकेआर के सीईओ वैंकी मैसूर ने इस युवा गेंदबाज को खोजने का श्रेय अपनी फ्रेंचाइजी के टैलेंट स्काउट को दिया, जिसने दिल्ली में अंडर-25 मैच के दौरान उन्हें गेंदबाजी करते हुए देखा।

आईपीएल नीलामी से पहले सुयश केकेआर की अकादमी में मुंबई से जुड़ गए। इसके बाद केकेआर प्रबंधन ने उन्हें नेट्स में अभ्यास करने और अपनी गेंदबाजी में निखार लाने के लिए पर्याप्त समय दिया। उन्हें अभ्यास करते हुए जिन लोगों ने देखा वे बताते हैं कि टीम के कुछ सबसे अच्छे बल्लेबाज भी उनकी गुगली गेंदों को पढ़ने में विफल रहते थे