छत्तीसगढ़

Earthquake: दिल्ली-NCR में क्यों बढ़े भूकंप के मामले, 68 साल के विश्लेषण में सामने आई हैरान करने वाली रिपोर्ट

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जमींदोज होते जलाशय पेयजल संकट की वजह तो बन ही रहे हैं, भूकंप के बढ़ते झटकों का भी बड़ा कारण बन गए हैं। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) ने अपने 63 साल के विश्लेषण में पाया है कि अतिक्रमण व अवैध कब्जों की भेंट चढ़ रहे जलाशयों के ऊपर इमारतें भले खड़ी हो गई हों, लेकिन उनके नीचे पानी अभी भी मौजूद है।

दलदली जमीन की हलचल से ही भूकंप के झटके लगते रहते हैं। दूसरी ओर एनसीएस ने भूजल स्तर में कमी को भूकंप आने का कारण मानने से इंकार कर दिया है। वजह यह कि बीते एक दशक के दौरान समग्र रूप से भूजल स्तर में वृद्धि देखने को मिल रही है।

कब कितने आए भूकंप

एनसीएस द्वारा एक जनवरी 1960 से लेकर 31 मार्च 2023 तक की समयावधि में दिल्ली-एनसीआर के भूकंपों को लेकर किए गए एक विश्लेषण में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इसके मुताबिक इन 63 साल में दिल्ली- एनसीआर में अधिकेंद्र वाले कुल 675 भूकंप आए हैं। लेकिन सन 2000 तक 40 साल में जहां केवल 73 भूकंप दर्ज किए गए, वहीं इसके बाद 22 साल में 602 भूकंप रिकॉर्ड किए गए।

ये भी है कारण

एनसीएस का कहना है कि दिल्ली एनसीआर में जो भूकंप आते हैं, वह अरावली पर्वत श्रृंखला के नीचे बने छोटे- मोटे फाल्टों के कारण आते हैं, जो कभी-कभी ही सक्रिय होते हैं। वहां प्लेट टेक्टोनिक्स की प्रक्रिया भी बहुत धीमी है। ऐसे में यहां आने वाले भूकंपों की तीव्रता भी रिक्टर स्केल पर अधिक नहीं होती।

उपरोक्त समयावधि के दौरान भी जितने भूकंप आए, उनकी तीव्रता 1.1 से 5.1 तक ही रही है। जबकि यहां पर जानमाल का नुकसान तभी संभावित है जब भूकंप की तीव्रता कम से कम सात हो।

दूसरी ओर फाल्ट लाइन के बहुत सक्रिय न होने के बावजूद पिछले दो दशक में अगर भूकंपों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है तो इसका एक प्रमुख कारण जमींदोज होते जा रहे जलाशय और यमुना के पैलियो चैनल (जमीन के नीचे मौजूद पुराने जलमार्ग) हैं।

यमुना का स्वरूप होता गया छोटा

एनसीएस ने पाया है कि दिल्ली में यमुना का स्वरूप और आकार पहले काफी बड़ा था, जो शहर की आबादी बढ़ने से छोटा होता गया। काफी जगह सड़कें बन गई है, निर्माण कार्य हो गए हैं। लेकिन जमीन के नीचे पानी अभी भी बह रहा है। इसी तरह दिल्ली में एक हजार से अधिक जलाशय हुआ करते थे। लेकिन इनमें से भी बड़ी संख्या में अब लापता हो गए हैं और उन पर इमारतें बन गई हैं। हालांकि जमीन के नीचे पानी खत्म नहीं हुआ है। इसी पानी और दलदली जमीन की हलचल से छोटे भूकंप आते हैं।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ ओपी मिश्रा ने बताया कि यह बिल्कुल सही है कि दिल्ली एनसीआर में कोई बड़ी फाल्ट लाइन नहीं होने से यहां किसी बड़े भूकंप की संभावना नहीं है। बावजूद इसके पिछले कुछ वर्षों में यहां पर भूकंप के झटके बढ़े हैं तो उसके पीछे यही वजह सामने आ रही है कि जमीन के ऊपर भले निर्माण कार्य होते जा रहे हैं, लेकिन नीचे जलाशयों और यमुना का जल अभी भी बहता है। लिहाजा वहां की जमीन भी अपेक्षाकृत दलदली है। इसकी हलचल से ही छोटे मोटे भूकंप आते हैं। अलबत्ता, पहले की तुलना में अधिक उपकरण लगने से अब इनका रिकार्ड रखना भी और सहज हो गया है।