बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने चुनाव अधिकारियों द्वारा जब्त किए गए चावल के बैगों को छोड़ने का आदेश देते हुए साफ तौर पर कहा है कि रिटर्निंग ऑफिसर या चुनाव अधिकारियों को चुनाव की घोषणा से पहले किसी सामग्री की तलाशी लेने या जब्त करने का अधिकार नहीं है।
‘चुनाव अधिकारी चुनाव की घोषणा से पहले अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर सकते’
जस्टिस एम नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने एक टिप्पणी में कहा, ”निर्वाचन अधिकारी या चुनाव अधिकारियों को चुनाव की घोषणा से पहले किसी भी सामग्री की तलाशी या जब्त करने का कोई अधिकार नहीं होगा। चुनाव अधिकारी चुनाव की घोषणा से पहले अपनी शक्ति का उपयोग नहीं कर सकते हैं। चुनाव की घोषणा के बाद आपके पास अधिकार होगा, लेकिन तब तक नहीं।”
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में किया ये दावा
कोर्ट ने शिवाजीनगर इलाके में सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले इस्तियाक अहमद द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए यह टिप्पणी की। इस्तियाक जरूरतमंदों को भोजन और कपड़े वितरित करते हैं।
25 किलोग्राम वजन के 530 बैग चावल किए थे जब्त
गौरतलब है कि चुनाव अधिकारी ने पुलिस के साथ 19 मार्च को याचिकाकर्ता इस्तियाक के घर की तलाशी ली और इस दौरान उन्होंने 25 किलोग्राम वजन के 530 बैग चावल पाए। इसके बाद इस्तियाक को एक नोटिस जारी किया गया, जिसका उन्होंने जवाब दिया। हालांकि, इसके बावजूद चावल के बैग उन्हें वापस नहीं किए गए, इसलिए उसने बैग जारी करने के लिए कोर्ट का शरण ली।
सरकारी वकील ने कहा- वोट हासिल करने के उद्देश्य से चावल बांटना चाहता था याचिकाकर्ता
इस्तियाक ने कोर्ट में दावा किया कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है, जो सभी त्योहारों पर जरूरतमंदों को चावल बांटता है। उसने कहा कि चुनाव अधिकारी चावल जब्त नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। याचिकाकर्ता ने जब्त किए गए चावल छोड़ने की मांग की। उधर, कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील ने यह कहते हुए कार्रवाई का न करने के लिए कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव में वोट हासिल करने के उद्देश्य से चावल बांटना चाहता था। हालांकि, उन्होंने यह माना कि चुनाव की घोषणा से पहले चुनाव अधिकारियों को इस सामग्री की तलाशी और जब्त करने का कोई अधिकार नहीं है।