छत्तीसगढ़

केंद्रीय मंत्री बोले- राहुल आलसी किस्म की राजनीति करते हैं, बीजेपी कर्नाटक का भविष्य

नईदिल्ली : केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शनिवार को राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के इरादे के बिना अजीबोगरीब आरोप लगाने और वादे करने की “आलसी किस्म की राजनीति” करते हैं। राजीव चंद्रेशखर की टिप्पणी राहुल गांधी के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है जिसमें कांग्रेस नेता ने जातिगत जनगणना की पैरवी की थी और कर्नाटक में कई तरह की रियायतें देने का वादा किया था।

चंद्रशेखर ने इस बात पर भी भरोसा जताया कि कर्नाटक में भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं की बगावत पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल करने से नहीं रोक पाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य के भाजपा नेताओं ने 10 मई को होने वाले चुनाव में पहली बार 74 नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के कड़े फैसले के बाद पीढ़ीगत बदलाव को स्वीकार कर लिया है।

कर्नाटक से राज्यसभा सांसद चंद्रशेखर ने पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि भाजपा की पहचान राज्य के भविष्य के साथ की जाने लगी है, जबकि कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) अतीत की ‘आलसी, हकदार और शोषक’ राजनीति के प्रतीक हैं।

दशकों तक सत्ता में रहने के दौरान कांग्रेस पार्टी के ट्रैक रिकॉर्ड पर सवाल उठाते हुए चंद्रशेखर ने राहुल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने कर्नाटक में एक चुनावी रैली में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को लुभाने के लिए बेरोजगारों और महिलाओं के लिए भत्ते सहित कई वादे किए और जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा, राहुल गांधी चाहते हैं कि लोग यह भूल जाएं कि उनकी पार्टी ने दशकों तक शासन किया है।

भाजपा नेता ने कहा, राहुल गांधी जिस तरह की राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं, यह सबसे आलसी प्रकार की राजनीति है। उन्होंने आगे कहा, उनकी राजनीति का मतलब कुछ अजीबोगरीब कहना, कुछ आरोप लगाना, वादे करना और फिर लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कड़ी मेहनत करने का कोई इरादा न रखते हुए चले जाना है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब वे सरकार में थे तब उन्होंने ओबीसी के लिए कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री और कर्नाटक में डबल इंजन की सरकार के तहत इस समुदाय के लिए किए गए सभी कार्यों को देखें। वादे करना और गायब होना कांग्रेस की शैली है। उन्होंने दावा किया कि वे पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जो वादे किए उसे कभी पूरा नहीं किया।

भाजपा नेता ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी जैसे लिंगायत नेताओं के दलबदल से पार्टी को समुदाय के समर्थन में सेंध नहीं लगेगी। उन्होंने लिंगायत समुदाय के नेताओं के लिए भाजपा की ऐतिहासिक “प्रतिबद्धता, मान्यता और सम्मान” का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, एक या दो नेता, जो अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा को सबसे आगे रखना चाहते थे, कांग्रेस या जद (एस) में चले गए। अगर आप शेट्टार या सावदी को देखें, तो दोनों नेताओं ने भाजपा के साथ लंबे समय तक काम किया और हमेशा पार्टी की विचारधारा से जुड़े रहे। उन्होंने कहा, 13 मई को वे न केवल (चुनाव) हारेंगे, बल्कि भाजपा के सदस्यों के रूप में पिछले कई दशकों में उन्होंने जो भी सम्मान अर्जित किया है, उसे भी खो देंगे।

कांग्रेस द्वारा भाजपा पर लिंगायत नेताओं का अपमान करने का आरोप लगाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टी का राज्य के सबसे बड़े समुदाय में विभाजन पैदा करने का इतिहास रहा है, जो कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत माना जाता है। उन्होंने कहा कि 2018 के चुनावों में तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायतों के हिंदू नहीं होने के बारे में “प्रचार” किया था। उन्होंने कहा कि सिद्धारमैया या कांग्रेस के किसी अन्य नेता के कुछ ट्वीट भाजपा के लिए एक या दूसरे समुदाय के समर्थन को प्रभावित नहीं करेंगे।

उन्होंने कहा, कांग्रेस अस्तित्व के संकट की लड़ाई लड़ रही है और हताश है क्योंकि वह जानती है कि कर्नाटक में हार का मतलब यह होगा कि पार्टी राज्य से गायब हो जाएगी, जैसा कि केरल को छोड़कर बाकी दक्षिण भारत से हुआ है। जहां वह पहले ही बैक-टू-बैक चुनाव हार चुकी है। उन्होंने कहा कि कुल 224 उम्मीदवारों में से 74 नए चेहरों को मैदान में उतारने का भाजपा नेतृत्व का फैसला महत्वपूर्ण और साहसिक है क्योंकि उसका मानना है कि यह कर्नाटक के भविष्य की पार्टी है।