नईदिल्ली : गुजरात की डायमंड सिटी कहे जाने वाले सूरत शहर में आम आदमी पार्टी की चमक फीकी पड़ती हुई नजर आ रही है। महज दो साल पहले सूरत महानगरपालिका चुनाव में 27 पार्षद जीतकर पूरे प्रदेश में अपना प्रभाव दर्ज कराने वाली पार्टी का गढ़ सूरत अब ढहने की कगार पर आ गया है। पिछले सात दिनों में आम आदमी पार्टी के छह पार्षदों ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। जबकि एक पार्षद को उसके बगावती तेवर के कारण पार्टी ने उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पिछले 14 माह में आप के 13 पार्षद पार्टी छोड़ चुके है। अब पार्टी के पास 27 में से महज 14 पार्षद ही बचे हैं।
दरअसल, फरवरी 2021 के गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में आप ने सूरत में 27 सीटें जीती थीं और 120 सदस्यीय निगम में भाजपा को 93 सीटें मिली थीं। वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था, लेकिन बड़ी जीत के बाद भाजपा को मायूसी थी। इसके पीछे की दो वजहें थीं, पहली भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ में आप की सेंधमारी और दूसरी कुछ वार्डों में भाजपा का सफाया, लेकिन आम आदमी पार्टी के 13 पार्षदों के पाला बदलने से अब भाजपा की सभी वार्ड में उपस्थिति हो गई है।
हाल ही में 14 अप्रैल की रात को आप के छह पार्षदों ने भाजपा का दामन थामा। इसके बाद 21 अप्रैल को दो और पार्षद पार्टी छोड़कर भाजपा के हो गए। इसके अलावा आप ने एक पार्षद को बागवती तेवर के चलते बाहर का रास्ता दिखा दिया। पार्षदों के पार्टी छोड़ने के बाद आप संगठन पर सवाल खड़े हो गए हैं। 14 अप्रैल को छह पार्षदों के एक साथ पार्टी छोड़ने के बाद प्रदेश अध्यक्ष ईशुदान गढ़वी दो दिन सूरत रहे और शेष बचे 17 पार्षदों से वन टू वन संवाद किया। इसके बाद बावजूद पार्टी के अंदर मची टूट नहीं बचा सके। कुछ दिनों तक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष गोपाल इटालिया और वरिष्ठ नेता अल्पेश कथीरिया भी सूरत में डटे रहे। इसके बाद भी आप के लिए अपना घर बचाना मुश्किल हो रहा है। इससे पहले पहले फरवरी 2022 में आप के चार पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे।
विपक्ष का नेता पद बचाना आप के लिए बना चुनौती
विधानसभा चुनावों में सूरत की सभी सीटों से हैवीवेट उम्मीदवारों उतारने वाली आम आदमी पार्टी फिलहाल डैमेज कंट्रोल की मुद्रा नजर है। पार्टी की कोशिश है कि सभी पार्षदों को किसी भी सूरत में एकजुट रखा जाए। सदन में नेता विपक्ष का दर्जा रखने के लिए 12 पार्षदों की आवश्यकता होती है। ऐसे में आप के लिए सूरत में काफी गंभीर संकट आ खड़ा हुआ है। सूरत की आप इकाई में मची टूट के बाद आप नेताओं का कहना है कि भाजपा नेता दिन-रात आप को तोड़ने में लगे हुए हैं। पार्टी के कुछ नेताओं को करोड़ों रुपये का लालच दिया जा रहा है। वे भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं और पार्टी के कार्यकर्ताओं को उकसा कर उन्हें भाजपा में जोड़ने का काम कर रहे हैं। इधर, भाजपा के नेताओं का कहना है कि आप के कई पार्षद पार्टी छोड़ सकते हैं। सूरत में फिलहाल ऑपरेशन डिमोलिशन चल रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल की प्रतिष्ठा थी दांव पर
गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाने वाले प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल सूरत से ही आते हैं। वे लगातार तीन बार से नवसारी से चुनकर लोकसभा पहुंच रहे हैं। ऐसे में सूरत में पार्टी की कमजोर होने पर सीधा जुड़ाव पाटिल के प्रदर्शन से किया जाता है, लेकिन फिलहाल हीरा नगरी में राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से भाजपा के पक्ष में दिख रहे हैं। विधानसभा की सभी सीटों पर भाजपा काबिज है। तो आप और कांग्रेस को मुकाबले में आने के लिए काफी लंबा सफर तय करने की जरूरत दिख रही है। आप से भाजपा में आए पार्षदों के सदस्यता लेने के वक्त पाटिल मौजूद नहीं रहे, लेकिन बाद में उन्होंने सभी पार्षदों से मुलाकात की थी।
2024 से पहले भाजपा को मिली मजबूती
लोकसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी के पार्षदों के पाला बदलने से सूरत में भाजपा अब और ज्यादा मजबूत हो गई है। इतना ही नहीं निगम में भी पार्टी का संख्या बल बढ़ गया है। निगम चुनावों में आम आदमी पार्टी को सूरत में संजीवनी मिली थी। इसी के बाद पार्टी मिशन गुजरात पर आगे बढ़ी थी, लेकिन विधानसभा चुनावों से पहले और बाद में कुल 13 पार्षदों के पाला बदलने से पार्टी बैकफुट पर है। अगर आने वाले दिनों आप से पार्षदों का पलायन नहीं रुका, तो सूरत में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल के साथ नेता विपक्ष का पद भी खो देगी।