नईदिल्ली : सूर्योदय से पहले उठकर जोर लगाना और खिलाई पर ध्यान देने के अलावा दोपहर-रात की नींद पहलवानों की दिनचर्या का अहम हिस्सा है, लेकिन बजरंग, विनेश और साक्षी मलिक जब से धरने पर बैठे हैं। दोपहर की नींद नेताओं, यूनियन कर्मियों, खाप-पंचायत सदस्यों, छात्रों के समर्थन ने गायब कर रखी है तो रात में बिजली के कट और मच्छर कुछ घंटे की चैन की नींद नहीं लेने दे रहे हैं। बुधवार शाम को खरखौदा स्थित घर के सदस्यों की ओर से लाई गई गाढ़े दूध की चाय भी विनेश के चेहरे पर आई थकान और आंखों की सूजन को उतारने में मदद नहीं कर पा रही थी। उनके मुंह से यही निकलता है, अब तो न्याय हासिल करना है। चाहे इसके लिए नींद जाए या बिजली के कट लगें या फिर कितने ही मच्छर काटें।
महंत ने संभाली प्रसाद और दर्शन की जिम्मेदारी
धरनास्थल पर 24 घंटे मीडिया की मौजूदगी है। रात में भी बेरीकेट के बाहर कुछ कैमरे तैनात रहते हैं, लेकिन सूर्य निकलते ही यहां गहमा-गहमी शुरू हो जाती है। पहलवानों के सामने सबसे बड़ी समस्या सुबह नहाने-धोने की थी। इसके लिए पास के ही होटल में इंतजाम कराए गए। पहलवान वहां से नहाकर वापस धरना स्थल पर बैठ जाते हैं। धरने पर भी पहलवान पूजा और भगवान का सहारा नहीं छोड़ रहे। चांदनी चौक के हनुमान मंदिर के महंत पावरलिफ्टिंग के पूर्व विश्वचैंपियन गौरव शर्मा ने पहलवानों को बजरंगबली के दर्शन कराए। मंदिर का प्रसाद पहलवानों को रोजाना दिया जाता है। धरने का संचालन विनेश के पति सोमबीर के दोस्त मंदीप कर रहे हैं। उनके मुताबिक अब तक 63 खापों, पंचायतों, यूनियनों और पार्टियों का उन्हें समर्थन मिल चुका है।
पहलवानी का नुकसान न हो इस लिए शुरू किया अभ्यास
विनेश मानती हैं की पहलवानों को सोने से बहुत प्यार है। सोने से ही उनकी ओर से की गई मेहनत की रिकवरी होती है। इसके लिए वह दिन में तीन घंटे जरूर सोया करती थीं। वह कहती हैं कि अब मच्छरदानी की व्यवस्था की है, लेकिन इसमें भी मच्छर घुस आते हैं, लेकिन उनके संघर्ष के आगे यह कष्ट कुछ नहीं है। वे सभी इसे झेलने के लिए तैयार हैं। पहलवानी का नुकसान नहीं हो इसके लिए उन्होंने बुधवार सुबह से धरना स्थल पर ही अभ्यास शुरू किया है। विनेश कहती हैं आखिर करनी तो पहलवानी ही है, इस लिए शरीर को तो दुरुस्त रखना ही होगा।
जूस, बादाम, खाने की नहीं कोई समस्या
पहलवानों का धरना जब रविवार को शुरू हुआ तो बजरंग के साथ उनकी पत्नी संगीता फोगाट, विनेश के साथ उनके पति सोमबीर, साक्षी मलिक के साथ उनके पति सत्यव्रत कादियान और पहलवान जितेंदर कुमार के अलावा गिनती के लोग थे, लेकिन सोमवार को इन पहलवानों ने अपने समर्थन में खापों, पंचायतों, किसान यूनियनों और राजनीतिक पार्टियों से समर्थन की अपील क्या की कि धरने की सूरत ही बदल गई। न सिर्फ धरने की जगह बदल गई बल्कि वहां तंबू-कनातें भी लग गए। पहलवान अपने साथ ज्यादा कपड़े भी नहीं लाए थे। अब कपड़ों का भी पूरा इंतजाम है और खाने की भी कोई समस्या नहीं है। धरने पर समर्थन के लिए जो भी आता है उसकी अगवानी करने खुद बजरंग, विनेश, साक्षी जाते हैं। उन्हें न सिर्फ धरने पर दल-बल बढ़ाने का आश्वासन मिलता है बल्कि खाने-पीने की चिंता से मुक्त रहने के लिए कहा जाता है। धरना स्थल पर जूस से लेकर बादाम, मखाने, मिठाई और खाने के पैकेट सभी का इंतजाम उपलब्ध रहता है।
मेरी बेटी तो वजन के लिए दो दिन भूखी रहती है फिर यह धरना तो कुछ नहीं
बुधवार को धरना स्थल पर साक्षी के ससुर पूर्व अर्जुन अवार्डी पहलवान सत्यवान और उनकी मां सुदेश मलिक भी पहुंच गए। सुदेश कहती हैं कि अगर बच्चों का वे अब समर्थन नहीं करेंगे तो कब करेंगे। इन्होंने बड़ा फैसला लिया है। मां-बाप होने के नाते हमारा फर्ज है कि इनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े हों। वह कहती हैं कि उनकी बेटी का यह कष्ट कुछ नहीं है, जब वह कुश्ती लड़ने के लिए अपना वजन कम करने के लिए दो-दो दिन खाना नहीं खाती है और 24 घंटे से ज्यादा समय तक पानी नहीं पीती है तो उस कष्ट से सामने यह कुछ नहीं है। उनकी बेटी के संघर्ष का फायदा युवा पहलवानों को मिलेगा।