नईदिल्ली : दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक बार फिर कोर्ट से राहत नहीं मिली। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने जमानत याचिका दाखिल की थी, जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। अब जानकारी सामने आ रही है कि वह हाईकोर्ट का रूख करेंगे। ईडी ने सिसोदियो को नौ मार्च को शराब नीति घोटाले मामले में गिरफ्तार किया था।
वहीं सिसोदिया के साथ आरोपी बनाए गए राजेश जोशी और गौतम मल्होत्रा की जमानत याचिकाओं पर आदेश को छह मई तक के लिए टाल दिया है। इससे पहले 26 अप्रैल को कोर्ट ने ईडी द्वारा जांच की जा रही आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुनाना था लेकिन इसे आज तक (28 अप्रैल) के लिए डाल दिया गया था।
सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
सिसोदिया को ईडी की हिरासत में भेजते हुए अदालत ने कहा था कि आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में सिसोदिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उनकी गिरफ्तारी उचित है। ईडी ने आरोप लगाया है कि कुछ निजी कंपनियों को 12% का थोक व्यापार लाभ देने की साजिश के तहत आबकारी नीति लागू की गई थी।
सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए
एजेंसी ने यह भी कहा था कि एक साजिश थी जिसे थोक विक्रेताओं को असाधारण लाभ मार्जिन देने के लिए साउथ ग्रुप के साथ विजय नायर और अन्य व्यक्तियों द्वारा समन्वित किया गया था। यह तर्क दिया गया कि नायर दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की ओर से कार्य कर रहे थे। सबूत नष्ट करने पर ईडी ने कहा है कि सिसोदिया ने 14 फोन नष्ट किए, जिनमें से केवल दो बरामद किए गए। यह भी कहा गया कि आप नेता ने सिम कार्ड और फोन का इस्तेमाल किया जो अन्य व्यक्तियों के नाम से खरीदे गए थे।