इस्लामाबाद: भारत और पाकिस्तान के बीच दुश्मनी जगजाहिर है। भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय बैठकों को स्थगित किया हुआ है। इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी शंघाई सहयोग संगठन की विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए भारत आए हुए हैं। यह एक दशक में किसी पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पहली भारत यात्रा है। पाकिस्तान में बिलावल भुट्टो के भारत आने को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। इस बीच पाकिस्तान की प्रमुख विपक्षी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा और भारत-पाकिस्तान संबंधों को लेकर अपनी राय रखी है। उन्होंने भारत-पाकिस्तान व्यापार का भी समर्थन किया, लेकिन उसे दोनों देशों के विवादित मुद्दों से जोड़ दिया।
भारत-पाकिस्तान व्यापार को बताया फायदेमंद
हमारे सहयोगी प्रकाशन टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार का आर्थिक महत्व काफी ज्यादा है, लेकिन इसे अलग नजरिए से नहीं देखा जा सकता है। भारत के साथ व्यापार फिर से शुरू करने के इच्छुक नहीं होने की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कुरैशी ने कहा, ‘देखिए, मुद्दा यह है कि मैं दोनों देशों के बीच व्यापार के लाभों को देखता हूं। इसका आर्थिक महत्व समझ में आता है लेकिन इसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसे अन्य चीजों के साथ मिलकर देखा जा सकता है, लेकिन केवल व्यापार पर्याप्त नहीं है। मैं बस इतना ही कह रहा हूं। व्यापार संबंधों को सुधारने में मदद कर सकता है, लेकिन व्यापार अपने आप में पर्याप्त नहीं होगा।
बिलावल की गोवा यात्रा पर क्या बोले कुरैशी
बिलावल की गोवा यात्रा पर टिप्पणी करते हुए, पीटीआई नेता कुरैशी ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी उनकी यात्रा का विरोध नहीं कर रही थी और समझती थी कि यह एक बहुपक्षीय दायित्व है। शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि एक पूर्व विदेश मंत्री के रूप में मैंने इस तरह के सम्मेलनों में हिस्सा लिया है। ऐसे में मेरा मानना है कि यह एक महत्वपूर्ण यात्रा है और हर हाल में इसे आगे बढ़ना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान-भारत संबंधों की जांच के लिए एक बैठक होती है तो यह उपयोगी हो सकता है।
कुरैशी ने भारत के साथ बातचीत की जताई इच्छा
कुरैशी ने पुलवामा और बालाकोट हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि हमने तभी से भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया था। फिलहाल हमारे बीच कोई व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध नहीं हैं। हम क्रिकेट मैचों के लिए तटस्थ स्थानों की तलाश कर रहे हैं। मेरी पार्टी और मैं भारत के साथ शांति चाहते हैं। उन्होंने पूछा कि जब तक हमारे बीच बातचीत नहीं होगी, हम अच्छे पड़ोसी संबंध और शांति कैसे प्राप्त कर सकते हैं? हमें यह पहचानने की जरूरत है कि हमारे पास कई बकाया मुद्दे हैं। हम उन्हें छोड़ नहीं कर सकते। हमें उन्हें हल करना होगा। उन्होंने कहा, ऐसा करने का सबसे सभ्य तरीका बातचीत के माध्यम से है।
बिलावल को विवादित मुद्दे उठाने को उकसाया
शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि पारस्परिक रूप से एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का आरोप लगाना या ताकत के दम पर समधाना ढूंढना पारस्परिक रूप से आत्मघाती हैं। मेरे विचार से, हमारे पास हमारे मुद्दों का कोई सैन्य समाधान नहीं है, लेकिन उन्हें राजनीतिक रूप से हल करना होगा। उन्हें बातचीत के जरिए सुलझाना होगा। कुरैशी ने कहा कि बिलावल भुट्टो जरदारी के पास दोनों देशों के बीच के प्रासंगिक मुद्दों को उठाने का वास्तविक अवसर है। उन्होंने आशा जताई कि बिलावल मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाने से कतराएंगे नहीं। उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों के मुद्दों को उठाने की सलाह दी। इतना ही नहीं, कुरैशी ने यह भी कहा कि मुझे उम्मीद है कि वह पानी के मुद्दे को उठाने से नहीं हिचकिचाएंगे, जो दोनों देशों के बीच लगातार चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।
पुलवामा को बताया स्वनिर्मित साजिश
उन्होंने आगे कहा कि एससीओ एक बहुपक्षीय मंच है जहां द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठाया जा सकता है। मैं जो कह रहा हूं वह यह है कि … उन्हें उस अवसर को नहीं चूकना चाहिए। पुलवामा हमले में शामिल आत्मघाती हमलावर के पाकिस्तान कनेक्शन को लेकर कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान को कोसना भारत में काफी लोकप्रिय है। यह भारत का दृष्टिकोण है। कुरैशी ने आरोप लगाया कि पुलवामा हमला राजनीतिक कारणों से स्वनिर्मित और सुनियोजित घटना थी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत को इस खांचे से बाहर आना होगा कि हम तब तक नहीं बैठेंगे जब तक पाकिस्तान आतंकवाद नहीं छोड़ देता। कुरैशी ने दावा किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद से लड़ाई लड़ी है, पाकिस्तान उग्रवाद और आतंकवाद को हराने की प्रक्रिया में है। जैसा कि मैंने कहा, हमने भुगता है।