बिलासपुर : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेप पीड़िता की विधवा मां को आखिरकार कोर्ट ने भी जमानत दे दी है। दुष्कर्म के केस में बदले की भावना से काउंटर केस दर्ज करने पुलिस की इस कार्रवाई का पिछले 9 दिनों से लगातार विरोध हो रहा था। इधर, एडिशनल एसपी ने भी जांच रिपोर्ट SP को सौंप दी है, जिसका खुलासा नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में FIR को गलत बताया गया है।
दुष्कर्म पीड़िता की मां को दस साल के बच्चे के यौन शोषण व पाक्सो एक्ट के तहत बीते 19 मई को गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया था, जिसके बाद से शहर में लगातार विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था। बदले की भावना से दर्ज की गई FIR को रद्द करने और टीआई के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही दुष्कर्म पीड़िता की मां की रिहाई की मांग की जा रही थी। विरोध-प्रदर्शन के बाद SP संतोष कुमार ने मामले की जांच के लिए कमेटी गठित की थी।
जांच कमेटी ने SP को सौंपी रिपोर्ट
इधर, सोमवार को जांच कमेटी के प्रमुख व एडिशन एसपी ग्रामीण शर्मा ने जांच रिपोर्ट SP संतोष सिंह के समक्ष पेश की। हालांकि, अधिाकारियों ने जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इंकार किया है। लेकिन, अब तक जांच कमेटी ने जितने लोगों का बयान दर्ज किया है और तथ्यों की जांच की है, उसमे प्रथम दृष्टया FIR को फर्जी माना गया है। इन्हीं बयानों व जांच के आधार पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है। कहा जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में पुलिस की भूल मानी गई है। लेकिन, दोषी थानेदार को क्लिन चिट देने की बात भी कही जा रही है।
दुष्कर्म पीड़िता की जमानत अर्जी कोर्ट ने की स्वीकार
पुलिस की जांच रिपोर्ट में लगातार हो रही देरी के चलते विरोध बढ़ रहा था। वहीं, पीड़िता अपनी मां की रिहाई के लिए दबाव बना रही थी। पाक्सो एक्ट जैसे गंभीर केस में गिरफ्तारी के चलते इस केस में जमानत आवेदन भी नहीं लगाया गया था। इस बीच पीड़िता की तरफ से एडवोकेट आशुतोष पांडेय ने जमानत के लिए अर्जी लगाई, जिस पर सोमवार को बहस हुई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने जिस विधवा महिला को पाक्सो एक्ट और यौन शोषण का आरोपी बनाया है, उस महिला ने अपनी बेटी की दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर बदले की भावना से पुलिस के साथ मिलीभगत कर उनके खिलाफ काउंटर केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने उनके पक्ष को सुना। इस दौरान दस साल के बच्चे और उसकी मां भी कोर्ट में पेश हुई। उन्होंने कोर्ट से कहा कि जमानत देने पर उन्हें विरोध नहीं है, पर हिंदूवादी संगठनों से उन्हें खतरा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश स्मिता रत्नावत की कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर शाम को फैसला देते हुए कोर्ट ने जमानत अर्जी स्वीकार कर लिया है।