मुंबई। आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि आरबीआइ ने कुछ बैंकों के कारपोरेट गवर्नेंस यानी बैंकों में प्रशासनिक गड़बड़ी का पता लगाया है। उन्होंने कहा, ‘यह आवश्यक है कि बैंक बोर्ड और प्रबंधन को इस तरह की गड़बडि़यों को दूर करना चाहिए क्योंकि उनमें समस्त बैंकिंग क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने की क्षमता है।
किसी भी बैंक की स्थिरता और बेहतर वित्तीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए मजबूत प्रशासनिक ढांचा पहली और महत्वपूर्ण आवश्यकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निदेशकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि आरबीआइ ने बैंकों के बोर्ड बैठक में विचार-विमर्श के लिए सात महत्वपूर्ण मुद्दों पर गाइडलाइंस जारी की हैं।
इसमें कारोबारी रणनीति, वित्तीय रिपोर्ट और उनकी सत्यनिष्ठा, जोखिम, अनुपालन, ग्राहक सुरक्षा, वित्तीय समावेशन और मानव संसाधन शामिल हैं। दास ने कहा, ‘यह चिंता का विषय है कि कारपोरेट गवर्नेंस पर इन गाइडलाइंस के बावजूद कुछ बैंकों में प्रशासनिक कमियां सामने आ रही हैं। उन्होंने कहा कि बैंकों के प्रशासन को मजबूत करना बोर्ड के चेयरमैन, निदेशकों और पूर्णकालिक और गैर-कार्यकारी निदेशकों की संयुक्त जिम्मेदारी है।
बैंकों में प्रशासन को लेकर दिशा-निर्देश किए गए जारी
आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि जब चीजें ठीक चल रही होती हैं तो जोखिमों को अक्सर अनदेखा या भुला दिया जाता है। इसलिए, बैंकों के निदेशक मंडल और उनके वरिष्ठ प्रबंधन को बाहरी जोखिमों और आंतरिक कमजोरियों पर निरंतर निगरानी रखनी चाहिए। दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में पूरे वित्तीय क्षेत्र के विनियमन और पर्यवेक्षण को काफी मजबूत किया है। आरबीआइ ने बैंकों में प्रशासन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
तीनों बैंकों की विफलता से वैश्विक बैंकिंग उद्योग पर दिखा था दबाव
बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी), माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआइ) और शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) सहित नियामकीय ढांचे को भी युक्तिसंगत बनाया गया। आरबीआइ गवर्नर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब इस वर्ष की शुरुआत में अमेरिका में कई बैंकों वित्तीय अस्थिरता सामने आई है।
इस कारण तीन बैंक विफल भी हो चुके हैं। इसमें सिलिकान वैली बैंक, फर्स्ट रिपब्लिक बैंक और सिग्नेचर बैंक शामिल हैं। इन तीनों बैंकों की विफलता से वैश्विक बैंकिंग उद्योग पर दबाव दिखा था।
हमारा बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर: दास
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारतीय बैंकिंग क्षेत्र मजबूत और स्थिर बना हुआ है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के कोरोना महामारी से उत्पन्न तनाव, यूरोप में जारी युद्ध और विकसित अर्थव्यवस्थाओं में बैंकिंग क्षेत्र में संकट के दौरान भी बेहतर प्रदर्शन किया है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि आज हमारे बैंकिंग क्षेत्र का सीआरएआर 16.1 प्रतिशत पर बना हुआ है।
सीआरएआर बैंकिंग की जोखिम वाली पूंजी का प्रतिशत बताता है। इसके अलावा बैंकिंग क्षेत्र के सकल एनपीए 4.41 प्रतिशत और शुद्ध एनपीए 1.16 प्रतिशत पर है। बैंकों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि वर्षों से और विशेष रूप से हाल की चुनौतियों के दौरान बैंक वित्तीय और परिचालन लचीलापन बनाए रखने में सक्षम रहे हैं।
व्यक्तिगत निदेशकों के हितों का कोई टकराव नहीं होना चाहिए
शक्तिकांत दास ने कहा कि व्यक्तिगत निदेशकों के हितों का कोई टकराव नहीं होना चाहिए जो उनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है। आरबीआइ गवर्नर ने कहा कि यह सुनिश्चित करना बोर्ड की जिम्मेदारी है कि हितों के संभावित टकराव की पहचान समय पर की जाए और इससे निपटने के लिए नीतियां मौजूद हैं।
दास ने कहा, ‘यह आवश्यक है कि स्वतंत्र निदेशक वास्तव में स्वतंत्र हो। यानी न केवल प्रबंधन से बल्कि अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शेयरधारकों को नियंत्रित करने से भी स्वतंत्र हो। उन्हें हमेशा याद रखना होगा कि उनकी वफादारी बैंक के लिए है और कोई नहीं। निदेशकों को वास्तविक या संभावित संबंधित पार्टी लेनदेन पर भी नजर रखनी चाहिए।