छत्तीसगढ़

चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था बृजभूषण, उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी- पहलवान विनेश फोगाट का इमोशनल लेटर

नईदिल्ली : दिल्ली में महिला पहलवानों का जंतर मंतर से धरनास्थल खाली करवाने के दो दिन बाद विनेश फोगाट ने मंगलवार (30 मई) को एक भावुक कर देना वाला पत्र लिखा है. विनेश फोगाट ने इस पत्र में यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बारे में अपनी बात रखी है.विनेश फोगाट ने अपने पत्र में लिखा कि 28 मई को जो हुआ, वह आप सबने देखा. पुलिस ने हम लोगों के साथ क्या व्यवहार किया. हमें कितनी बर्बरता के गिरफ्तार किया. हम शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे. हमारे आंदोलन की जगह को भी पुलिस ने तहस-नहस कर हमसे छीन लिया और अगले दिन गंभीर मामलों में हमारे ऊपर ही एफआईआर दर्ज कर दी गई.

सफेदी हमें चुभ रही थी- विनेश फोगाट
उन्होंने लिखा कि यह सवाल आया कि किसे लौटाएं. हमारी राष्ट्रपति जी को, जो खुद एक महिला हैं. मन ने ना कहा, क्योंकि वो हमसे सिर्फ 2 किलोमीटर बैठी सिर्फ देखती रहीं, लेकिन कुछ भी बोली नहीं. हमारे प्रधानमंत्री को, जो हमें अपने घर की बेटियां बताते थे. मन नहीं माना, क्योंकि उन्होंने एक बार भी अपने घर की बेटियों की सुध-बुध नहीं ली. बल्कि नई संसद के उद्घाटन में हमारे उत्पीड़क को बुलाया.

विनेश फोगाट ने लिखा कि वह तेज सफेदी वाली चमकदार कपड़ों में फोटो खिंचवा रहा था. उसकी सफेदी हमें चुभ रही थी. मानो कह रही हो कि मैं ही तंत्र हूं. इस चमकदार तंत्र में हमारी जगह कहां है. भारत की बेटियों की जगह कहां है. क्या हम सिर्फ नारे बनकर या सत्ता में आने भर का एजेंडा बनकर रह गई हैं.

महिला पहलवानों को खेत में छिपना पड़ा- विनेश फोगाट
विनेश फोगाट ने लिखा कि कल पूरा दिन हमारी कई महिला पहलवान खेतों में छिपती फिरी हैं. तंत्र को पकड़ना उत्पीड़क को चाहिए था, लेकिन वह पीड़ित महिलाओं को उनका धरना खत्म करवाने, उन्हें तोड़ने और डराने में लगा हुआ है. अब लग रहा है कि हमारे गले में सजे इन मेडलों का कोई मतलब नहीं रह गया है. इनको लौटाने की सोचने भर से हमें मौत लग रही थी, लेकिन अपने आत्म सम्मान के साथ समझौता करके भी क्या जीना.

न्याय मांगकर क्या कर दिया अपराध- विनेश फोगाट
उन्होंने पत्र में लिखा कि क्या महिला पहलवानों ने अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के लिए न्याय मांगकर कोई अपराध कर दिया है. पुलिस और तंत्र हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि उत्पीड़क खुली सभाओं में हमारे ऊपर फब्तियां कस रहा है. टीवी पर महिला पहलवानों को असहज कर देने वाली अपनी घटनाओं को कबूल करके उनको ठहाकों में तब्दील कर दे रहा है.

महिला पहलवान विनेश फोगाट ने पत्र में दावा किया कि पॉक्सो एक्ट को बदलवाने की बात सरेआम कह रहा है. हम महिला पहलवान अंदर से ऐसा महसूस कर रही है कि इस देश में हमारा कुछ बचा नहीं है. हमें वे पल याद आ रहे हैं, जब हमने ओलंपिक, वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीते थे. अब लग रहा है कि क्यों जीते थे. क्या इसलिए जीते थे कि तंत्र हमारे साथ ऐसा घटिया व्यवहार करे. हमें घसीटे और हमें ही अपराधी बना दे. 

ये मेडल अब हमें नहीं चाहिए, क्योंकि इन्हें पहनाकर हमें मुखौटा बनाकर सिर्फ अपना प्रचार करता है यह तेज सफेदी वाला तंत्र. और फिर हमारा शोषण करता है. हम उस शोषण के खिलाफ बोले तो हमें जेल में डालने की तैयारी कर लेता है.

गंगा में बहाने जा रहे मेडल, करेंगे आमरण अनशन- विनेश फोगाट
इन मेडलों को हम गंगा में बहाने जा रहे हैं, क्योंकि वह गंगा मां हैं. जितना पवित्र हम गंगा को मानते हैं, उतनी ही पवित्रता से हमने मेहनत कर इन मेडलों को हासिल किया था. ये मेडल सारे देश के लिए ही पवित्र हैं और पवित्र मेडल को रखने की सही जगह पवित्र मां गंगा ही हो सकती हैं, नाकि हमें मुखौटा बना फायदा लेने के बाद हमारे उत्पीड़क के साथ खड़ा हो जाने वाला हमारा अपवित्र तंत्र. 

मेडल हामारी जान हैं, हमारी आत्मा हैं. इनके गंगा में बह जाने के बाद हमारे जीने का भी कोई मतलब नहीं रह जाएगा. इसलिए हम इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठ जाएंगे. इंडिया गेट हमारे उन शहीदों की जगह है, जिन्होंने देश के लिए अपनी देह त्याग दी. हम उनके जितने पवित्र तो नहीं हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलते वक्त हमारी भावना उन सैनिकों जैसी ही थीं.