छत्तीसगढ़

US: ‘सरकार के खिलाफ बोलने पर खत्म कर दिया जाता है अस्तित्व’, सांसदी जाने पर निकला राहुल गांधी का दर्द

never imagine something like this could happen, says Rahul Gandhi on disqualification from Parliament

वाशिंगटन। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिए जाने को लेकर पहली बार विदेश में बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि 2004 में जब मैंने राजनीति शुरू की, तब मैंने सोचा भी था कि हमारे देश में चल क्या रहा है। यह मेरी सोच के दायरे से भी बाहर था। 

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में कांग्रेस नेता ने कहा कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं पहला व्यक्ति बनूंगा जिसे मानहानि के मामले में सबसे बड़ी सजा मिलेगी और लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ेगी। राहुल ने आगे कहा कि लेकिन राजनीतिक तौर पर इससे मुझे ज्यादा बड़ा मौका मिला है। शायद उस मौके से भी बड़ा कुछ, जो मुझे संसद में बैठकर मिलते। राजनीति कुछ इसी तरह से काम करती है।

बता दें कि मार्च में राहुल गांधी को सूरत ट्रायल कोर्ट के आदेश के अनुपालन में वायनाड लोकसभा सीट से एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। कोर्ट ने उन्हें आपराधिक मानहानि मामले में दोषी ठहराया था और उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। मामले में उन्हें जमानत मिल गई है।

राहुल ने कहा कि हम संघर्ष कर रहे थे। विपक्ष भारत में संघर्ष कर रहा है। कोई भी एजेंसी काम नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि सिर्फ एक पार्टी को निशाना बनाया जा रहा है। बल्कि सभी विपक्षी पार्टियाँ तानाशाही से परेशान हैं। जब भी कोई सरकार के खिलाफ बोलता है तो उन संस्थानों पर कब्जा कर लिया जाता है या उनका अस्तित्व खत्म हो जाता है।  

‘मैं किसी से मदद नहीं मांग रहा हूं’ 
राहुल गांधी से पूछा गया कि क्या वह घरेलू चुनौतियों से निपटने के लिए विदेशी मदद मांग रहे हैं। उन्होंने इनकार करते हुए कहा, ‘मैं किसी से समर्थन नहीं मांग रहा हूं। मुझे पता है कि हमारी लड़ाई, हमारी लड़ाई है। लेकिन हां, यहां भारत के युवा छात्र हैं और मैं उनसे संवाद करना चाहता हूं और ऐसा करना मेरा अधिकार है।’ उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को भी लोगों से बातचीत करनी चाहिए और ‘कुछ कठिन सवालों के जवाब देना चाहिए’।