नईदिल्ली : चक्रवाती तूफान बिपारजॉय गुरुवार को गुजरात के तटों से टकराने वाला है. पिछले 60 सालों में पश्चिमी तट से टकराने वाला बिपारजॉय तीसरा चक्रवाती तूफान है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि Cyclone Biparjoy की फ्रीक्वेंसी और इसकी तीव्रता में हुआ इजाफा जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों का संकेत देता है. दरअसल, चक्रवाती तूफानों को लेकर कहा जाता है कि इनके तैयार होने में कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन का हाथ होता है.
बिपारजॉय को देखते हुए गुजरात के तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है. अभी तक 30 हजार लोगों को निचले इलाकों से बाहर निकाला गया है. इन सभी लोगों को शेल्टर होम्स में रखा गया है, जहां खाने-पीने की पूरी व्यवस्था की गई है. एनडीआरएफ की टीमों को भी तैनात कर दिया गया है. इसके अलावा, लोगों की मदद के लिए भारतीय सेना भी तैयार है. सरकार ने तटीय इलाकों में रहने वाले लोगों से कहा है कि वे अपने घरों को छोड़कर शेल्टर होम्स में चले जाएं.
क्या जलवायु परिवर्तन है तूफान की वजह?
मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन पर पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि बिगड़ती हुई जलवायु परिस्थितियां मौसम में हो रही गड़बड़ी की संभावित वजहों में से एक होती है. उन्होंने एक ट्विटर स्पेस में कहा कि जून के महीने में मानसून आने वाला होता है. ऐसे में चक्रवात आने की संभावना जून महीने के पहले हाफ में होती है.
पलावत ने आगे बताया कि इसके बाद मानसून की वजह से सितंबर तक चक्रवात आने की संभावना नहीं रहती है. वह आगे कहते हैं कि अधिकतर चक्रवाती तूफान बंगाल की खाड़ी में तैयार होते हैं. लेकिन पिछले चार से पांच सालों में अरब सागर में भी लगातार चक्रवाती तूफान बन रहे हैं.
जून में चक्रवात आना बहुत दुर्लभ
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, 1965 के बाद जून में पश्चिमी राज्य को प्रभावित करने वाला चक्रवात बिपारजॉय तीसरा चक्रवात होगा. विभाग ने बताया कि जून के महीने में 1965 से लेकर 2022 तक के आंकड़ों के आधार पर अरब सागर के ऊपर अब तक 13 चक्रवाती तूफान तैयार हुए हैं. इन तूफानों में से दो गुजरात तट, एक महाराष्ट्र तट, एक पाकिस्तान तट, तीन यमन के तट से जाकर टकराए, जबकि छह समुद्र के ऊपर ही कमजोर हो गए.
मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि गुजरात में 1961, 1964, 1996 और 1998 में तूफान आया है. ये सभी तूफान जून के महीने में आए हैं और इन तूफानों में भयंकर तबाही मची है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार भी तूफान तबाही मचा सकता है.