नईदिल्ली : भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) के विशेष पैनल ने छह आंदोलनकारी पहलवानों के लिए आगामी एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप की चयन प्रक्रिया को सिर्फ एक मुकाबले की प्रतियोगिता कर दिया है. इन्हें दोनों प्रतिष्ठित प्रतियोगिताओं की भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए सिर्फ ट्रायल के विजेताओं को हराने की जरूरत होगी.
इनमें छह पहलवानों विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, संगीता फोगाट, सत्यव्रत कादियान और जितेंद्र किन्हा को न सिर्फ शुरुआती ट्रायल में हिस्सा लेने से छूट मिली है बल्कि उन्हें वादा किया गया है कि वे पांच से 15 अगस्त के बीच ट्रायल के विजेताओं से भिड़ेंगे.
गौरतलब है कि पहलवानों ने खेल मंत्रायल से आग्रह किया था कि उन्हें एशियाई खेलों के ट्रायल में अगस्त में हिस्सा लेने की स्वीकृति दी जाए क्योंकि भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ लंबे समय से चले आ रहे विरोध-प्रदर्शन के कारण वे तैयारी नहीं कर पाए हैं. बृजभूषण पर कथित यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं.
आंदोलनकारी पहलवानों को मिलेगी छूट
बजरंग पूनिया और विनेश जैसे एथलीट पहलवानों को डब्ल्यूएफआई ने चोट से बचाने के लिए अतीत में पूर्ण ट्रायल से छूट दी है लेकिन संगीता, सत्यव्रत और जितेंद्र को इस तरह की छूट पहले कभी नहीं मिली. खास समिति को एशियाई खेलों के ट्रायल 15 जुलाई से पहले कराने हैं जो आयोजकों को सभी भारतीय टीमों की जानकारी सौंपने की समय सीमा है.
शुरुआती ट्रायल कराके आईओए पहलवानों के नाम एशियाई ओलंपिक परिषद (OCA) को 15 जुलाई की समयसीमा तक भेज पाएगा लेकिन अगर आंदोलनकारी पहलवान शुरुआती ट्रायल के विजेताओं को हरा देते हैं तो वह बाद में प्रविष्टियों में बदलाव कर सकता है. विशेष समिति के प्रमुख भूपेंद्र सिंह बाजवा ने 16 जून को पहलवानों को इस फैसले की जानकारी दी.
आईओए ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी
एक पत्र के अनुसार, ‘‘इन पहलवानों का ट्रायल एशियाई खेलों/विश्व चैंपियनशिप के लिए संबंधित भार वर्ग के विजेताओं के साथ आयोजित किया जाएगा.’’ आईओए ने 16 जून को ओसीए से संपर्क कर भारतीय कुश्ती टीम के लिए ‘नामों के साथ प्रविष्टियां’ जमा करने की 15 जुलाई की समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी.
आईओए ने हालांकि सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (NSF) से 30 जून तक अपनी-अपनी टीमों का विवरण उपलब्ध कराने को कहा था ताकि वह बिना किसी परेशानी के ओसीए की समय सीमा का सम्मान कर सके. ओसीए ने अभी तक आईओए के अनुरोध का जवाब नहीं दिया है कि क्या भारतीय कुश्ती टीम की जानकारी 15 अगस्त को दी जा सकती है.
विश्व चैंपियनशिप के लिए 16 अगस्त तक भेजे जाएंगे नाम
जब छह पहलवानों को दी गई छूट पर प्रतिक्रिया के लिए बाजवा से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. बाजवा ने कहा, ‘‘यह सब ओसीए के जवाब पर निर्भर करेगा. हो सकता है कि ओसीए हमें अगस्त में सभी ट्रायल आयोजित करने की अनुमति दे दे, तो कोई समस्या नहीं है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘एशियाई खेलों और विश्व चैंपियनशिप की तारीखें टकरा रही हैं. दोनों टूर्नामेंट के बीच सिर्फ पांच से सात दिन का अंतर है. कुछ पहलवान एशियाई खेलों के लिए तैयारी कर रहे हैं तो कुछ विश्व चैंपियनशिप के लिए.’’
बाजवा ने कहा, ‘‘कुछ एशियाई खेलों में पदक जीतना चाहते हैं और अन्य विश्व चैंपियनशिप के माध्यम से 2024 ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करना चाहते हैं. विश्व चैंपियनशिप के लिए नाम भेजने की तारीख 16 अगस्त है. मुझे लगता है कि ये बच्चे (विरोध करने वाले पहलवान) विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अधिक उत्सुक हैं.’’
‘ये लोग तो बस मलाई खाना चाहते हैं’,
तदर्थ समिति के इस फैसले से हालांकि सवाल उठने लगे हैं. एक पहवान के पिता ने कहा, ‘‘ऐसा दिखाया जा रहा था कि विरोध भारतीय कुश्ती में बदलाव लाने के लिए था लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि कैसे. पूर्व की चीजें दोहराई जा रही हैं. कुछ पहलवानों को फायदा मिल रहा है. पहले यह डब्ल्यूएफआई था जो इन पहलवानों को छूट देकर इनका पक्ष ले रहा था और अब तदर्थ समिति.’’
उन्होंने कहा, ‘‘वैसे भी हम इस बारे में क्या कर सकते हैं? हम मुकाबले के लिए तैयार हैं लेकिन यह उचित नहीं है कि ये पहलवान सिर्फ एक मुकाबले में प्रतिस्पर्धा करें और हमारे बच्चों को पूरे ड्रॉ से गुजरना पड़े. ये लोग तो बस मलाई खाना चाहते हैं.’’ इस बीच पिछले डब्ल्यूएफआई ढांचे से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि यह कदम उनकी बात को साबित करता है कि शीर्ष पहलवान हर समय ट्रायल से बचना चाहते हैं.
‘WFI से जुड़े मामलों पर नियंत्रण चाहते हैं’
अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘उन्हें हमेशा डब्ल्यूएफआई की निष्पक्ष नीतियों से समस्या थी. वे कभी भी ट्रायल के माध्यम से भारतीय टीम में नहीं आना चाहते थे. हमने उनकी अनुचित मांगों का सम्मान किया क्योंकि वे शीर्ष पहलवान हैं लेकिन वे अभी भी वही मांग कर रहे हैं. यह हमारी बात को सही साबित करता है कि वह डब्ल्यूएफआई से जुड़े मामलों पर नियंत्रण चाहते हैं.’’