नईदिल्ली : ओम राउत के निर्देशन में बनी ‘आदिपुरुष’ फिल्म को लेकर हाई कोर्ट ने निर्माताओं को फटकार लगाई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने फिल्म पर बैन लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, आप लोग धार्मिक ग्रंथों को बख्श दीजिए. इसके साथ ही कोर्ट ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय के साथ ही केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को याचिका के जवाब में निजी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि आप कुरान पर एक डॉक्यूमेंट्री बना दीजिए, फिर देखिए क्या होता है.
जस्टिस राजेश सिंह चौहान और श्रीप्रकाश सिंह की खंड पीठ ने कहा, आप लोगों को कुरान, बाइबल को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए. मैं ये क्लियर कर दूं कि किसी भी धर्म को मत टच कीजिए. किसी भी धर्म के बारे में गलत तरह से मत दिखाइए. कोर्ट का कोई धर्म नहीं है. हमारी चिंता केवल ये है कि कानून और व्यवस्था की स्थिति बनी रहनी चाहिए.
कुरान पर बना कर देखिए- हाई कोर्ट
जस्टिस चौहान ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि फिल्ममेकर्स का काम केवल पैसा कमाना है. जस्टिस चौहान ने कहा, कुरान के बारे में छोटी सी डॉक्यूमेंट्री बना दीजिए, जिसमें गलत दिखाया गया हो, फिर देखिए क्या हो सकता है. हालांकि, मैं एक बार फिर क्लियर कर दूं कि ये किसी एक धर्म के बारे में नहीं है. संयोग है कि ये मामला रामायण से जुड़ा है, वरना कोर्ट सभी धर्मों का है.
कोर्ट ने सवाल किया कि आप नई पीढ़ी को क्या सिखाना चाहते हैं? रामायण के कई चरित्रों की पूजा की जाती है और उन्हें फिल्म में किस तरह दिखाया गया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक जज ने कहा उनसे कई लोगों ने कहा कि वे फिल्म से आहत हुए हैं. कुछ लोग ऐसे थे जो पूरी फिल्म नहीं देख सके. जो भगवान राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी में विश्वास करते हैं, वे ये फिल्म नहीं देख पाए.
कोर्ट ने कहा- प्रोड्यूसर को आना होगा
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, अगर हमने आज अपना मुंह बंद कर दिया तो हमें पता है कि क्या होगा. मैंने एक फिल्म देखी थी, जिसमें भगवान शंकर को मजाकिया अंदाज में त्रिशूल लेकर भागते दिखाया गया था. अब आगे ये सब दिखाया जाएगा? फिल्म चलती है तो फिल्ममेकर्स पैसा कमाते हैं. ये बार-बार हो रहा है. प्रोड्यूसर को इस बार अदालत में आना होगा. ये कोई मजाक नहीं है.
सेंसर बोर्ड पर भी सख्त टिप्पणी
कोर्ट ने फिल्म को मंजूरी देने वाले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भी आड़े हाथों लिया. डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया एसबी पांडेय ने कोर्ट ने बताया कि फिल्म को सेंसर बोर्ड के गंभीर सदस्यों ने प्रमाणपत्र दिया था. इस पर पीठ ने सेंसर बोर्ड मेंबर्स की तरफ इशारा करते हुए कहा, “आप कह रहे हैं कि संस्कार वाले लोगों ने इस फिल्म को सर्टिफाई किया है, जहां रामायण के बारे में ऐसा दिखाया गया है तो वे लोग भी धन्य हैं.”
कोर्ट ने आगे कहा, जो सीधे लोग हैं, उन्हें दबा देना चाहिए? ऐसा ही है? ये तो अच्छ है कि ये एक ऐसे धर्म के बारे में है, जिसके मानने वालों ने कोई अव्यवस्था पैदा नहीं की. हमें इसका आभारी होना चाहिए. हमने न्यूज में देखा कि कुछ लोग सिनेमा में गए और उन्होंने केवल हाल बंद करने को कहा, वे कुछ और भी कर सकते थे.
कोर्ट ने पूछा- क्या सहिष्णुता का टेस्ट लिया जाएगा
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा, अगर हम लोग इस पर आंख बंद कर लें क्योंकि ये जाता है कि इस धर्म के लोग बहुत सहिष्णु हैं, तो क्या इसका टेस्ट लिया जाएगा.
पीठ ने आश्चर्य जताया कि आखिर आदिपुरुष के निर्माताओं के दिमाग में क्या आया जो उन्हें इस तरह की फिल्म बनाने की सूझी. पीठ ने टिप्पणी की, क्या कोई कल्पना करता है कि हमारे धार्मिक चरित्र ऐसे ही रहे होंगे जैसे उन्हें फिल्म में दिखाया गया है? फिल्म में किरदारों ने जो पोशाक पहनी है, क्या हम कल्पना करते हैं कि हमारे भगवान ऐसे ही होंगे? रामचरितमानस इतना पवित्र है कि लोग घर से निकलते हैं, तो इसका पाठ करके निकलते हैं और आप इसे इतने बेकार तरीके से दिखाते हैं.