छत्तीसगढ़

राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर बीजेपी का निशाना, अमित मालवीय बोले- वो शांति के मसीहा नहीं…

नईदिल्ली : मणिपुर में पिछले करीब दो महीने से जारी हिंसा अभी तक थमी नहीं है. राज्य और केंद्र सरकार की ओर से लगातार शांति की अपील की जा रही है, इस बीच अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेता भी मणिपुर का दौरा कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर पहुंच रहे हैं, जहां वह स्थानीय लोगों से मुलाकात करेंगे. राहुल की इस यात्रा पर राजनीति तेज़ हो गई है और भाजपा ने इस मसले को लेकर उनपर निशाना साधा है.

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने गुरुवार को ट्वीट कर राहुल गांधी पर निशाना साधा और राज्य में उनकी सरकार के कार्यकाल को याद दिलाया. अमित मालवीय ने लिखा कि जब मणिपुर में 2015-17 के बीच कांग्रेस सीएम ओकरम सरकार ने तीन बिल पास किए थे, तब राहुल ने चूड़ाचांदपुर का दौरा नहीं किया था. अमित मालवीय ने दावा किया कि उस वक्त पास बिलों को स्थानीय लोगों ने एंट्री ट्राइबल बताया था और मैतई समुदाय की एक साजिश करार दिया था.

अमित मालवीय ने अपने ट्वीट में कहा कि उस वक्त नौ युवाओं को गोली मारी गई थी, गुस्से में लोगों ने दो साल तक उनका अंतिम संस्कार नहीं किया था. राहुल गांधी ने तब मणिपुर का दौरा नहीं किया था. वह कोई शांति के मसीहा नहीं हैं, बल्कि राजनीतिक अवसरवादी हैं जो सिर्फ माहौल को गर्म रखना चाहते हैं. उनका मणिपुर दौरा लोगों के लिए बल्कि अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए है. उनपर या कांग्रेस पर भरोसा करने का कोई कारण नहीं है.

मणिपुर में स्थानीय लोगों से मिलेंगे राहुल

आपको बता दें कि पूर्व सांसद राहुल गांधी गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर मणिपुर रवाना हुए हैं, यहां वह राहत शिविरों में लोगों से मुलाकात करेंगे साथ ही स्थानीय संगठनों से भी मिलेंगे. मणिपुर में मई में हिंसा की शुरुआत हुई थी, उसके बाद कांग्रेस नेता का यह पहला दौरा है. राहुल गांधी के दौरे को लेकर कांग्रेस की ओर से बयान जारी किया गया है, जिसमें उनके दौरे की विस्तृत जानकारी दी गई है.

अगर मणिपुर में हिंसा की बात करें तो यहां मैतई और कुकी समुदाय के बीच विवाद जारी है, जिसकी वजह से अभी तक पूरे राज्य में हिंसा की आग फैली हुई है. पिछले दो महीने से जारी इस बवाल में अभी तक 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जबकि हजारों लोग अपना घर छोड़ने पर मज़बूर हुए हैं. मैतई समुदाय लंबे वक्त से अनुसूचित जनजाति में शामिल होने की मांग कर रहा था, तबकि कुकी समुदाय की ओर से इसका विरोध किया जा रहा था. जब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मैतई समुदाय की मांग पर विचार करने को कहा, उसी के बाद राज्य में हिंसा भड़क गई.