नईदिल्ली : लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहित (UCC) पर लोगों और धार्मिक संगठनों से राय मांगी है. इस पर सियासी हंगामा मचा हुआ है. इस बीच केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कांग्रेस से यूसीसी पर रुख साफ करने के लिए कहा. सीएम ने कहा कि पार्टी की चुप्पी छल-कपट जैसी है.
विजयन ने ट्वीट किया, ” क्या कांग्रेस का समान नागरिक संहिता पर कोई स्पष्ट रुख है? जब भारत की बहुलता पर संघ परिवार (RSS) के हमलों का विरोध करना समय की मांग है तो क्या कांग्रेस उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के लिए तैयार है?”
कांग्रेस ने क्या कहा?
लॉ कमीशन की तरफ से पब्लिक ओपिनियन देने की अपील के बाद कांग्रेस ने अधिकारिक बयान जारी कर कहा था कि चुनाव की से वजह से यूसीसी को हवा दी जा रही है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पार्टी की ओर से 15 जून को बयान जारी करते हुए था कि बीजेपी और केंद्र सरकार अपने एजेंडे को वैधानिक रूप देने के लिए ऐसा कर रही है. उन्होंने कहा था कि यह बात अजीब है कि विधि आयोग नए सिरे से राय ले रहा है.
पीएम मोदी का किया जिक्र
पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने आरोप लगाया कि यह मुद्दा इसलिए उठाया गया है ताकि समाज में विभाजन पैदा किया जा सके. देश को अस्थिर किया जा सके और भारतीय समाज की विविधिता को खत्म किया जा सके. मोइली ने एक बयान में इस बात पर जोर दिया कि संविधान का अनुच्छेद 25 आस्था की स्वतंत्रता का अधिकार देता है.उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से समान नागरिक संहिता की बात की. संविधान में इसका उल्लेख है, लेकिन संविधान निर्माताओं ने संविधान सभा में यह फैसला किया था कि समान नागरिक संहिता को अनिवार्य नहीं बनाया जाए क्योंकि यह भारतीय समाज की विविधता से संबंधित है.’’दरअसल पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के एक कार्यक्रम में कहा था कि यूसीसी पर विपक्ष लोगों को भड़का रहा है. एक देश में दो कानून कैसे चल सकता है. यूसीसी का जिक्र तो संविधान में भी है. समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट भी कहता रहा है कि यूसीसी लाओ.