नईदिल्ली : मद्रास हाईकोर्ट ने किसी आरोपी की मर्दानगी की जांच के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा आरोपी की मर्दानगी जांचने के लिए वीर्य के सैंपल एकत्र करने की जरूरत नहीं. साइंस अब काफी तरक्की कर चुका है इसलिए ब्लड सैंपल से भी जांच की जा सकती है. इसके साथ ही कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट बंद करने का भी निर्देश दिया है.
सात जुलाई को पारित किया था आदेश
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा अधिनियम और किशोर न्याय (देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए जस्टिस एन. आनंद वेंकटेश और जस्टिस सुंदर मोहन की खंडपीठ गठित की गई थी. पीठ ने सात जुलाई को आदेश पारित करते हुए एसओपी तैयार करने का निर्देश दिया है.
पुराना तरीके को बंद किया जाए: हाईकोर्ट
बेंच ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि टू-फिंगर टेस्ट और मर्दानगी की जांच करने के पुराने तरीके को बंद कर दिया जाए. कोर्ट ने आगे कहा कि इस संबंध में पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया जाएगा कि वे विभिन्न क्षेत्रों के पुलिस महानिरीक्षकों को यह निर्देश दें कि वे 1 जनवरी, 2023 से दुष्कर्म से जुड़े सभी मामलों में तैयार की गई मेडिकल रिपोर्ट को देखकर डेटा एकत्र करें. यह भी देखें कि पेश की गई किसी रिपोर्ट में टू-फिंगर टेस्ट का जिक्र किया गया है. हाईकोर्ट की बेंच एक नाबालिग लड़की और लड़के से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) पर भी सुनवाई कर रही थी.
साइंस बहुत तरक्की कर चुका है, कोर्ट की टिप्पणी
बेंच ने आगे कहा कि अगर ऐसी कोई रिपोर्ट सामने आती है, तो उसे इस अदालत के संज्ञान में लाया जाए. रिपोर्ट मिलने के बाद हम आदेश पारित करेंगे. इसी तरह, यौन अपराध से जुड़े मामलों में किए जाने वाले मर्दानगी के टेस्ट में अपराधी का वीर्य एकत्र किया जाता है, जो टेस्टिंग का एक पुराना तरीका है. विज्ञान ने प्रगति की है इसलिए सिर्फ ब्लड के सैंपल एकत्र करके ऐसे टेस्ट किए जा सकते हैं.