नईदिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच देश में एक अन्य मामले को लेकर गर्मागरम बहस छिड़ी हुई है. वह है यूनिफॉर्म सिविल कोड. आखिर क्या है यह यूसीसी और इसका देश, सरकार और आम जनता को क्या फायदा और क्या नुकसान होगा?
इसको लेकर सड़क से लेकर संसद तक बहस चल रही है. सुप्रीम कोर्ट भी चाहता है कि यूसीसी भारत में जल्द से जल्द लागू किया जाए. यूसीसी को लेकर कई ऐसे सवाल हैं, जिनका अभी तक कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है. उन्हीं में से एक है कि बाल विवाह से जन्म लेने वाले बच्चों का क्या होगा? क्या वह बच्चा अवैध यानी गैर कानूनी माना जाएगा या उसे संपत्ति बंटवारे का हक मिलेगा?
भारत में बाल विवाह की स्थितिः कहने के लिए तो भारत में बाल विवाह गैर कानूनी है और इसके लिए कानून में सजा का प्रावधान भी है. इसके बावजूद देश में बाल विवाह की दर काफी अच्छी खासी है. यूनाइटेड नेशन इंटरनेशनल चिल्ड्रेंस इमरजेंसी फंड (UNICEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बाल विवाह की दर करीब 23 परसेंट हैं. यानी लगभग हर चार बच्चों में से एक का बाल विवाह होता है.
सरकार कानून बनाने के बाद भी इस पर अंकुश नहीं लगा पा रही है. अब इन 23 परसेंट बाल विवाह से होने वाले बच्चों को कानूनी दर्जा मिलेगा या फिर यह संतानें अवैध मानी जाएंंगी. यूसीसी में इसके लिए बड़े सख्त रिफॉर्म की जरूरत पड़ेगी.
भारत में बच्चों की जन्म दरः नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) यानी शिशु प्रजनन दर इस समय 2.0 हो गई है. यह पिछली बार की तुलना में घटी है. जबकि आइडियल रेशियो के अनुसार इसे पिछली एनएचएस रिपोर्ट की तुलना में 2.1 होना चाहिए था.
पिछली रिपोर्ट में टीएफआर 2.2 आई थी. विशेषज्ञों के अनुसार परिवार नियोजन को लेकर लोग ज्यादा सतर्क हो चुके हैं. उसी का यह नतीजा है. वैसे भी देश में जनसंख्या दर इस समय बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है. भारत की कुल आबादी भी इस समय करीब 140 करोड़ पहुंच चुकी है.
भारत में महिलाएं और जन्म दर
NFHS की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इस समय पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक हैं. ये आंकड़े सरकार की नारी सशक्तीकरण की नीति के सकारात्मक परिणामों को दर्शाते हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में इस समय प्रति 1000 पुरुषों की तुलमा में 1020 महिलाएं हैं. पहले ये आंकड़े बिल्कुल उलट आते थे.
इस लिहाज से देखा जाए तो बाल विवाह की दर में और इजाफा होने की संभावना है. वहीं, बच्चों के जन्म दर की बात की जाए तो इस साल एक आंकड़े के मुताबिक अभी तक 1000 की तुलना में महज 16.94 यानी करीब 17 बच्चे हो रहे हैं. पिछले साल 2022 की तुलना में इन आंकड़ों में करीब 1.25 प्रतिशत की कमी आई है.
पैदा होने वाले इन बच्चों का यूसीसी में भविष्य
आंकड़ों के हिसाब से जन्म दर में जरूर कमी आई है. बावजूद इसके बाल विवाह की दर चौकानें वाली है. इसलिए इतनी बड़ी तादात में पैदा होने वाले बच्चों को क्या गैरकानूनी माना जाएगा या वैध. इस पर कानून के जानकारों को गहनता से विचार-विमर्श करके उसको यूसीसी के जरिए अमल में लाना चाहिए. हालांकि, सरकार के कानून मंत्रालय के पास यूसीसी का ड्राफ्ट पहुंच चुका है.