इंफाल : मणिपुर में हालात पर नजर रख रहे विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार तीन मई को भड़की जातीय हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और इसे काफी हद तक अफवाहों और फर्जी खबरों से बढ़ावा मिला है। उन्होंने यह भी कहा कि चार मई को कांगपोकपी जिले में हुई घृणित घटना (महिलाओं की निर्वस्त्र परेड) इंफाल घाटी में पॉलीथीन में लिपटे एक शव की तस्वीर को झूठे दावे के साथ प्रसारित किए जाने के बाद हुई थी। दावा किया गया था कि आदिवासियों के द्वारा चुराचांदपुर में पीड़िता की हत्या की गई है।
एक अधिकारी ने पिछले सप्ताह सोशल मीडिया पर सामने आए कांगपोकपी घटना के वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि बाद में पता चला कि यह तस्वीर राष्ट्रीय राजधानी की थी जहां एक महिला की हत्या कर दी गई थी, तब तक आक्रोश ने घाटी को अपनी चपेट में ले लिया था और अगले दिन जो कुछ देखा गया, उसने मानवता को शर्मसार कर दिया। उसी दिन मुश्किल से 30 किमी दूर दो और महिलाओं (20 वर्षीय) के साथ बेरहमी से दुष्कर्म किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। अधिकारी ने कहा कि फर्जी तस्वीर के कारण अराजकता जंगल की आग की तरह फैल गई, जिसके कारण राज्य सरकार को तीन मई को इंटरनेट बंद करना पड़ा था।
राजनीतिक दलों और कार्यकर्ताओं के एक वर्ग ने इंटरनेट के निलंबन का विरोध किया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसमें दखल देने से इनकार करते हुए 17 जुलाई को मणिपुर सरकार से कहा था कि वह राज्य में इंटरनेट की सीमित बहाली पर उच्च न्यायालय के पूर्व के आदेश के खिलाफ अपनी शिकायत उठाए। मणिपुर में तीन मई से लगी आग को बुझाने में लगी विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के विश्लेषण से यह निष्कर्ष निकला है कि स्थानीय समाचार पत्रों द्वारा प्रसारित की जा रही फर्जी या एकतरफा खबरों पर कोई नियंत्रण नहीं है।
उन्होंने हाल का उदाहरण देते हुए कहा कि एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र ने दावा किया था कि हथियारों से लैस आदिवासी लोगों ने चंदेल जिले के क्वाथा गांव में बहुसंख्यक समुदाय के सदस्यों पर हमला करने की योजना बनाई है। समाचार रिपोर्ट से चिंतित मणिपुर पुलिस हरकत में आई, बाद में पता चला कि समाचार रिपोर्ट झूठी थी।
पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा था कि किसी भी गांव को जलाने का कोई प्रयास नहीं किया गया था जैसा कि कुछ स्थानीय दैनिक समाचार पत्रों में बताया गया है और फिर से अपील की कि संवेदनशील मामलों में केवल सत्यापित जानकारी प्रकाशित की जानी चाहिए। पुलिस ने सोशल मीडिया या मौखिक रूप से सामने आने वाली किसी भी जानकारी को सत्यापित करने और गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए ‘अफवाह फ्री नंबर’ 9233522822 जारी किया है।
कुछ दिन पहले चुराचांदपुर में आदिवासी युवकों के मार्च का एक और वीडियो घाटी में उपशीर्षक के साथ प्रसारित किया गया था, जिसमें दावा किया गया था कि आदिवासी, बहुसंख्यक समुदाय की महिलाओं और बच्चों को छीन लेंगे। हालांकि, चूंकि वीडियो मिजो भाषा में था, जो कुकी-चिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बोली जाती है, इसलिए कुछ असामाजिक तत्वों ने फायदा उठाया और इंफाल घाटी में आक्रोश बढ़ाने के लिए उपशीर्षक लगाए, जहां मणिपुरी मैतईलोन आमतौर पर बोली जाती है।
लोगों की सहायता के लिए मणिपुर में हूं: मालीवाल
दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल मणिपुर में हैं। उन्होंने रविवार को कहा कि वह लोगों की सहायता के लिए मणिपुर आई हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से लोगों की पीड़ा को देखने के लिए राज्य का दौरा करने की अपील करेंगी। हिंसाग्रस्त राज्य में रविवार दोपहर आईं मालीवाल ने यह भी कहा कि वह राजनीति करने के लिए यहां नहीं पहुंची हैं और जिन लोगों को यहां आना चाहिए अगर वे राज्य का दौरा करेंगे तो वह वापस चली जाएंगी।
बीरेन सिंह से की यह अपील
रविवार को एक ट्वीट में मालीवाल ने कहा कि उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को पत्र लिखकर अपनी यात्रा के दौरान उनसे तत्काल मुलाकात की मांग की है। मणिपुर सरकार ने सिफारिश की थी कि मैं कानून और व्यवस्था की स्थिति के कारण अपनी यात्रा स्थगित करने पर विचार करूं। उनके सुझाव पर विचार-विमर्श के बाद योजना के अनुसार इम्फाल के लिए उड़ान भरने का फैसला किया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री से समय मांगा है। उनसे मिलूंगी और यौन उत्पीड़न पीड़ितों से मिलने के लिए उनके साथ आने का अनुरोध करूंगी।