नईदिल्ली : मणिपुर मई महीने की शुरुआत से ही हिंसा की चपेट में है. राज्य में पहली बार तीन मई को जातीय हिंसा शुरू हुई थी. इस बीच मणिपुर के मोरेह जिले में बुधवार (26 जुलाई) को उपद्रवियों के एक समूह ने कई घरों में आग लगा दी.
अधिकारियों ने यह जानकारी दी कि खाली पड़े ये घर म्यांमार सीमा के करीब मोरेह बाजार क्षेत्र में थे. उन्होंने बताया कि यह आगजनी कांगपोकपी जिले में भीड़ से सुरक्षाबलों की दो बसों को आग के हवाले करने की घटना के कुछ घंटों बाद हुई.
दीमारपुर से आ रही थीं सुरक्षाबलों की बसें
अधिकारियों ने बताया कि इस दौरान किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है. यह घटना सपोरमीना में उस समय हुई, जब बसें मंगलवार (25 जुलाई) शाम दीमापुर से आ रही थी. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित आदिवासी एकजुटता मार्च के दौरान हिंसा भड़कने के बाद शुरू हुआ था.
राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे अधिकतर पर्वतीय जिलों में रहते हैं.
मैतेई समुदाय को मिली धमकी
मणिपुर में 19 जुलाई को दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ छेड़छाड़ करने का एक वीडियो सामने आया था. जिसके बाद से राज्य में तनाव को माहौल और बढ़ गया है. साथ ही पूरे देश भर में आक्रोश है. राज्य में तब से लेकर अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. साथ ही कई लोग घायल हुए हैं.
इसके अलावा मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा अब पड़ोसी राज्यों में भी पहुंच गई है. मिजोरम में मैतेई समुदाय को राज्य छोड़ने की धमकी मिली है.