छत्तीसगढ़

मणिपुर हिंसा : घटना कब हुई, जीरो FIR कब की और…, सुप्रीम कोर्ट ने इन सवालों के साथ मणिपुर के DGP को किया तलब

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा है. राज्य में मई से जुलाई के बीच हुई हिंसा पर सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि हालात राज्य की पुलिस के नियंत्रण के बाहर थे. अब डीजीपी सोमवार (7 अगस्त) को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कोर्ट के सवालों का जवाब दें.

कोर्ट ने कहा है कि वह आगे की जांच को लेकर निर्णय लेगा. राज्य में हिंसा को लेकर दर्ज लगभग 6,500 एफआईआर में से कुछ केस तो सीबीआई को ट्रांसफर किए जा सकते हैं, लेकिन बाकी की जांच के लिए भी कुछ पुख्ता व्यवस्था बनानी होगी.

SC ने इन सवालों के साथ मणिपुर के DGP को किया तलब
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने राज्य सरकार से कहा है कि वह लगभग 6,500 एफआईआर का वर्गीकरण कर एक चार्ट बनाए. इसमें बताया जाए कि कितनी एफआईआर हत्या, रेप, लूट, महिलाओं से दुर्व्यवहार और धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाने जैसे गंभीर मामलों की हैं? घटना कब हुई? उस पर जीरो FIR कब हुई? उसे नियमित FIR में कब बदला गया? पीड़ित के बयान कब लिए गए और आरोपियों की गिरफ्तारी कब हुई?

कोर्ट ने यह भी कहा है कि वह हाई कोर्ट के पूर्व जजों की एक कमेटी बना सकता है, जो हालात की समीक्षा करेगी. यह कमेटी राहत और पुनर्वास पर भी सुझाव देगी, साथ ही सुनिश्चित करेगी कि गवाहों के बयान सही तरीके से हो सकें. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि मणिपुर में मौजूद CBI के अधिकारी वायरल वीडियो मामले में पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज कर सकते हैं. सुबह कोर्ट ने कहा था कि आज होने वाली सुनवाई तक CBI महिलाओं के बयान न ले.

मैतेई समुदाय के वकील ने कही ये बात
सुनवाई के दौरान मैतेई समुदाय की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कहा कि म्यांमार से लोग अवैध तरीके से आए हैं. वे जंगलों को काट कर अफीम की खेती कर रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय नारकोटिक्स माफिया हिंसा के पीछे है. यही समस्या की मूल वजह है. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि जिन शवों पर किसी ने दावा नहीं किया है, उनमें से अधिकतर घुसपैठियों के हैं. 

250 लोग किए गए हैं गिरफ्तार
सुनवाई के दौरान मणिपुर सरकार की तरफ से बताया गया कि कुल 250 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. साथ ही हिंसा के दौरान लगभग 1,200 लोगों को हिरासत में लिया गया. हालांकि, जज इन आंकड़ों से प्रभावित नजर नहीं आए. सुनवाई के अंत में चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट को यह भी बताया जाए कि कितने शवों की पहचान हुई है और मरने वालों के नाम क्या हैं? उन्होंने कहा कि हम जो कमेटी बनाएंगे वह मुआवजे पर भी सुझाव देगी.