छत्तीसगढ़

अग्निपरीक्षा में किसकी होगी जीत? विपक्ष और केंद्र ने की तैयारी, राज्यसभा में आज पेश होगा दिल्ली सेवा बिल

नईदिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार (7 अगस्त) को राज्यसभा में दिल्ली अध्यादेश वाला बिल पेश करने वाले हैं. जिसे लेकर विपक्षी दलों ने भी तैयारी शुरू कर दी है. रविवार (6 अगस्त) को आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने अपने-अपने सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है.

इससे पहले 3 अगस्त को इस विधेयक को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था. तब इंडिया (I.N.D.I.A) गठबंधन के सांसदों ने वॉकआउट किया था. आम आदमी पार्टी ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को 7 और 8 अगस्त को संसद में रहने के लिए व्हिप जारी किया है. जबकि कांग्रेस ने भी अपने राज्यसभा सांसदों को 7 अगस्त को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है. 

इंडिया और कांग्रेस सांसदों की बैठक

इसके अलावा सोमवार को विपक्ष की अहम बैठक भी बुलाई गई है. इंडिया के फ्लोर लीडर्स की बैठक सुबह 10 बजे राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के कार्यालय में होगी. विपक्षी दलों की बैठक के बाद साढ़े दस बजे कांग्रेस सांसदों की भी बैठक होगी. दिल्ली अध्यादेश बिल पर कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने रविवार को कहा कि इस बिल पर इंडिया का रुख स्पष्ट है, हम इसके खिलाफ हैं. 

विपक्षी दल कर रहे बिल का विरोध

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक-2023 दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित है. केंद्र ने दिल्ली में सेवाओं से जुड़ा अध्यादेश बीते मई के महीने में जारी किया था. दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार इसका पुरजोर विरोध कर रही है. आप के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन इंडिया के घटक दल भी बिल के विरोध में हैं. 

क्या है राज्यसभा का समीकरण?

लोकसभा में बीजेपी के बहुमत होने के कारण वहां से बिल आसानी से पास हो गया. अब बीजेपी के सामने इस बिल को राज्यसभा से पास कराने की बड़ी चुनौती है. क्योंकि वहां बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के पास बहुमत नहीं है. राज्यसभा में फिलहाल 238 सांसद हैं और इस बिल को पारित कराने के लिए बीजेपी को 119 सदस्यों (क्योंकि बीएसपी ने बायकॉट का ऐलान किया है) की जरूरत पड़ेगी.

सरकार के पास है कितना समर्थन?

राज्यसभा में बीजेपी के पास वर्तमान में 92 सांसद हैं. हालांकि एनडीए के सहयोगी दलों को मिलाकर ये संख्या 103 हो जाती है. इसके अलावा पांच मनोनीत सांसद भी शामिल हैं. मनोनीत सांसद अक्सर सरकार के समर्थन में ही वोट करते हैं.

राज्यसभा में आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक की बीजेडी के 9-9 सांसद हैं. ये दोनों पार्टी भी सरकार का समर्थन कर सकती हैं. सरकार को राज्यसभा में दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन भी मिलने की संभावना है. 

क्या बीजेपी को रोक पाएंगे विपक्षी दल?

बीएसपी और टीडीपी के भी राज्यसभा में एक-एक सांसद हैं. टीडीपी ने सरकार को सपोर्ट करने की बात कही जबकि बीएसपी बायकॉट करने वाली है. अगर कोई बड़ी पार्टी वॉकआउट कर जाती है तो बहुमत का आंकड़ा और गिर सकता है. राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन इंडिया के सांसदों की संख्या लगभग 109 है. ऐसे में लग रहा है बीजेपी राज्यसभा में भी इस बिल को पास कराने में सफलता हासिल कर लेगी.