प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन को लेकर अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. दस्तावेजों में मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान बता दिया गया है. अब हाई कोर्ट ने प्रशासन से जमीन के मालिकाना हक में बदलाव से जुड़े सभी राजस्व दस्तावेज पेश करने को कहा है.
मामले में श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट (मथुरा) ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की पीठ ने आदेश पारित किया. हाई कोर्ट ने मथुरा की छाता तहसील की एसडीएम श्वेता सिंह को निर्देश दिया है कि वे तहसील क्षेत्र के शाहपुर गांव में स्थित प्लाट संख्या 1081 के संबंध में समय-समय पर की गई प्रविष्टियों के परिवर्तन के विवरण के पूरे रिकॉर्ड के साथ आएं और हलफनामा दायर कर कोर्ट को जानकारी दें.
रिकॉर्ड में बदल गया मालिकाना हक
रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने कोर्ट को बताया था कि मथुरा जिले की छाता तहसील के शाहपुर गांव में स्थित भूखंड संख्या 1081 राज्य के राजस्व रिकॉर्ड में मूल रूप से बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम रजिस्टर्ड था, लेकिन अपने आप कब्रिस्तान के रूप में दर्ज हो गया.
अपनी अपील में याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने बांके बिहारी जी महाराज मंदिर के नाम पर कब्रिस्तान के रूप अवैध रूप से दर्ज की गई प्रविष्टि को सही करने के लिए हाई कोर्ट से निर्देश देने की मांग की है.
कैसे बदला नाम?
ट्रस्ट के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्राचीन काल से ही ये भूखंड बांके बिहारी मंदिर के नाम से रजिस्टर्ड था. 1994 में भोला खान पठान नाम के शख्स ने राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज करा लिया.
जानकारी मिलने पर मंदिर ट्रस्ट ने इस पर आपत्ति जताई, जिसके बाद ये मामला वक्फ बोर्ड के पास गया और एक 7 सदस्यीय टीम ने जांच की. जांच में पाया गया कि जमीन को गलत तरीके से कब्रिस्तान दिखाया गया. हालांकि, इसके बाद भी भूखंड को बांके बिहारी जी के नाम से रजिस्टर्ड नहीं किया गया.