नईदिल्ली : भारत के मून मिशन यानी चंद्रयान-3 ने बुधवार (23 अगस्त) शाम 6:04 बजे चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करके इतिहास रच दिया. जैसे ही लैंडर ने चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की, वैसे ही भारत साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट भेजने वाला दुनिया का पहला देश बन गया. अब चंद्रयान रोवर चंद्रमा की सतह पर घूमने लगेगा.
इसरो के मुताबिक चंद्रयान-3 के लिए मुख्य रूप से तीन उद्देश्य निर्धारित थे. इनमें चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना, चंद्रमा की सतह पर लैंडर को उतारना- घुमाना और लैंडर और रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर रिसर्च करवाना.
इससे पहले चांद के बीच की सतह पर उतरे स्पेसक्राफ्ट
गौरतलब है कि चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान चंद्रमा की भूमध्य रेखा के पास उतरे थे. इसके कई कारण हैं. दरअसल, स्पेसक्राफ्ट को भूमध्य रेखा पर लैंडिंग करवाना आसान और सुरक्षित है. यहां डिवाइस लंबे समय तक और निरंतर चल सकते हैं. इतना ही नहीं यहां का तापमान भी अधिक अनुकूल हैं. इसके अलावा यहां सूरज की रोशनी भी मौजूद है, जो सोलर डिवाइसों को ऊर्जा सप्लाई करता है.
चांद के पोलर अंधेरा और ठंड
वहीं, चंद्रमा के पोलर क्षेत्र अलग-अलग हैं. इसके कई हिस्सों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंची और यहां अंधेरा रहता है. इसके अलावा यहां का तापमान 230 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है. ऐसे में इसके डिवाइसों के संचालन में कठिनाई हो सकती है. इसके अलावा हर जगह बड़े-बड़े गड्ढे मौजूद हैं. यह ही वजह कि अब तक यहां किसी देश ने स्पेसक्राफ्ट नहीं उतारा.
साउथ पोल से मिल सकते हैं अहम सुराग
सर्दी के कारण अभी तक इन क्षेत्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं सामने नहीं आई है. इसका मतलब है कि यहां मौजूद कोई भी चीज बिना अधिक बदलाव के लंबे समय तक जमी रह सकती है. ऐसे में चंद्रमा के नॉर्थ और साउथ पोल की चट्टानें और मिट्टी से सोलर मंडल के बारे में अहम सुराग मिल सकते हैं.
वैज्ञानिकों के पास जानकारी भेजेंगे पेलोड
अंतरिक्ष यान अक्सर अपने साथ कुछ डिवाइस और एक्सपेरीमेंट्स ले जाते हैं (जिन्हें पेलोड कहा जाता है). ये पेलोड इस बात का निरक्षण करते हैं कि अंतरिक्ष में क्या हो रहा है? फिर यह जानकारी वैज्ञानिकों के विश्लेषण और अध्ययन के लिए पृथ्वी पर भेज दी जाती है.
क्या करेगा विक्रम लैंडर
विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान पर पिछले मिशन चंद्रयान-2 की तरह ही छह पेलोड लगाए गए हैं. इनमें से चार पेलोड चांद पर भूकंप, चांद की सतह पर थर्मल प्रोपर्टीज, सतह के पास प्लाज्मा में बदलाव और पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी को सटीक रूप से मापने में मदद करेंगे.
क्या जानकारी देगा रोवर
इसके अलावा इसके रोवर पर दो पेलोड हैं, जिन्हें चांद सतह की रासायनिक और खनिज संरचना का अध्ययन करने और चंद्र मिट्टी और चट्टानों में मैग्नीशियम, एल्यूमीनियम और लौह जैसे तत्वों की संरचना का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है.