नईदिल्ली : कांग्रेस सांसद और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी (ISRO) के निर्माण में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के ‘योगदान को न पचा पाने’ को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा है. जयराम रमेश ने कहा कि पंडित नेहरू केवल बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे.
चंद्रयान-3 की चांद पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारत के स्पेस प्रोग्राम पर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच जुबानी जंग चल रही है. कांग्रेस इसके लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रयासों को क्रेडिट दे रही है, तो सत्ताधारी बीजेपी का कहना है कि इस क्षेत्र में 2014 के बाद बड़ी प्रगति हुई है. इस बीच जयराम रमेश ने बीजेपी पर ताजा हमला बोला है.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, ‘नेहरू वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते थे. इसरो के निर्माण में उनके योगदान को जो नहीं पचा पा रहे हैं, वो TIFR (टाटा इंस्टीट्यूड ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) के शिलान्यास के दिन का उनका भाषण सुन लें. वह बादलों से रडार को बचाने वाले विज्ञान के ज्ञाता की तरह सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते थे बल्कि बड़े-बड़े फ़ैसले लेते थे.’ साथ ही उन्होंने भाषण भी शेयर किया.
23 अगस्त को चांद पर रचा गया इतिहास
23 अगस्त को इसरो (ISRO) के तीसरे मून मिशन चंद्रयान ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था. चांद के इस इलाके में पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है. साथ ही अमेरिका, पूर्व सोवियत यूनियन और चीन के बाद चांद पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश भी बना.
कांग्रेस ने किया पंडित नेहरू के प्रयासों का जिक्र
चंद्रयान-3 की सफलता के बाद कांग्रेस ने कहा था कि ये हर एक भारतीय की सामूहिक सफलता है. ये इसरो की उपलब्धि की निरंतरता की गाथा को दिखाती है, जो वास्तव में शानदार है. पार्टी ने कहा कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च (INCOSPAR) के गठन के साथ शुरू हुई, जो होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू के उत्साही समर्थन का परिणाम था. बाद में, अगस्त 1969 में साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की.