टोक्यो। जापान ने सोमवार को अपना मून मिशन रोक दिया। हालांकि, वह इसे जल्द ही दोबारा लॉन्च करेगा। अगर जापान सफलतापूर्वक चांद की सतह पर अपना यान उतार देता है, तो जापान चांद पर पहुंचने वाला दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा। चांद पर अब तक सिर्फ चार देश- रूस (पूर्व सोवियत संघ), अमेरिका, चीन और भारत ही पहुंच सके हैं।
जापान सोमवार यानी कि 28 अगस्त को अपना पहला मून मिशन लॉन्च करने वाला था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। जापान अपने मून मिशन को ‘एच2ए रॉकेट’ के जरिए भेजने वाला था, लेकिन तेज हवा के कारण फिलहाल इसे लॉन्च नहीं किया जा सका।
क्या है जापान का मून मिशन?
जापान काफी लंबे समय से अपने मून मिशन पर काम कर रहा है। जापान के मून मिशन में कई चीजें शामिल हैं। इस मिशन के तहत चंद्रमा पर जांच करने के लिए स्मार्ट लैंडर (SLIM) को उतारना है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) इसे ‘एच2ए रॉकेट’ के जरिए चांद पर भेजेगा। जापान के एसएलआईएम परियोजना को मून स्नाइपर के नाम से जाना जाता है। इसमें हाई तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें हाई टेक्नोलॉजी के कैमरे लगे हैं, जो चांद को समझने के लिए काम करेगा।
जापान के मून मिशन की खासियत
जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) ने इस मिशन के लिए काफी हल्के लैंडर का बनाया है। एसएलआईएम का वजन 700 किलोग्राम से कम है। ये भारत के चंद्रयान-3 के वजन के आधे से भी कम है। हालांकि0चीन की बढ़ती मौजूदगी पर नजर रखा जा सकेगा।
कब लॉन्च होगा जापान का मून मिशन?
अब जापान का लक्ष्य सितंबर के मध्य तक अपने मून मिशन को लॉन्च करना है। चंद्रमा पर जांच के लिए स्मार्ट लैंडर (एसएलआईएम) की जनवरी 2024 की शुरुआत में चंद्रमा पर लैंडिंग शुरू होगी। इसका मुख्य काम चांद पर मौजूद चट्टानों के बारे में अधिक जानकारी प्रदान करना है और इममें खास कैमरे इसे अंजाम देगा।
चांद पर पहुंचने वाला भारत बना चौथा देश
भारत ने 23 अगस्त को अपने मून मिशन चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग कराई। इसके बाद भारत दुनिया का चौथा देश बन गया, जो चांद पर पहुंच सका है। चंद्रयान-3 चांद पर कई तरह की खोज करेगा। इसमें पानी और खनिज से संबंधित खोज महत्वपूर्ण है।