छत्तीसगढ़

सलाखों के पीछे भी कैदियों के संवैधानिक अधिकार बरकरार, तिहाड़ जेल को लेकर बोला दिल्ली HC

नईदिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सलाखों के पीछे भी कैदियों के मूल संवैधानिक अधिकार बरकरार रहते हैं. कोर्ट ने तिहाड़ जेल में कैदियों रहने की स्थिति का गहनता से निरीक्षण करने के लिए वकीलों की चार सदस्यीय फैक्ट-फाइंडिंग कमेटी का गठन किया है. कमेटी जेल परिसर में पेयजल, स्वच्छता और शौचालयों के रखरखाव की स्थिति का निरीक्षण करेगी.

दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर में बुनियादी सुविधाओं की कथित कमी पर गौर करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी व्यक्ति की कैद की स्थिति के बावजूद, जीने के अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता.

कोर्ट ने बनाई 4 सदस्यों की टीम
चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की पीठ ने 23 अगस्त को पारित एक आदेश में कहा, ‘इस मुद्दे की गंभीर प्रकृति को समझते हुए, हम तिहाड़ जेल का पूरी गहनता से निरीक्षण करने के लिए एक स्वतंत्र समिति को अधिकृत करना आवश्यक समझते हैं. इस उद्देश्य के लिए, हम एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करते हैं जिसमें डॉ. अमित जॉर्ज, संतोष कुमार त्रिपाठी, नंदिता राव और तुषार सन्नू शामिल हैं.’

शौचालयों, पीने के पानी और स्वच्छता का होगा निरीक्षण
पीठ ने कहा, ‘कमेटी का कार्य वर्तमान स्थितियों का निष्पक्ष मूल्यांकन करना और परिसर में पीने के पानी, स्वच्छता और शौचालयों के रखरखाव की स्थिति के संबंध में हमें जानकारी देना है.’ दिल्ली उच्च न्यायालय कानूनी सेवा समिति (डीएचसीएलएससी) द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था, जिसमें तिहाड़ जेल परिसर में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति और स्वच्छता स्थितियों को बनाए रखने के महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रकाश डाला गया था.

पीठ ने सप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि जीने का अधिकार मानवाधिकारों में सर्वोपरि है. हाईकोर्ट ने कहा, ‘भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित (जीने के) मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जा सकता, चाहे कोई भी व्यक्ति जेल में ही क्यों न हो. एक कैदी के बुनियादी संवैधानिक अधिकार सलाखों के पीछे भी कायम रहते हैं,’

18 अक्टूबर को दाखिल करनी होगी रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के महानिदेशक (कारागार) से जेल परिसर के गहन निरीक्षण के लिए सभी आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान करके समिति के काम को सुविधाजनक बनाने को भी कहा. पीठ ने कहा कि समिति और दिल्ली सरकार दोनों की ओर से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट सुनवाई की अगली तारीख 18 अक्टूबर से पहले दाखिल की जाए.