छत्तीसगढ़

एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए अपनी जगह जूनियर वकील को भेजा, फिर क्या हुआ?

नईदिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में चौंकाने वाला मामला सामने आया. कोर्ट में एक केस की सुनवाई स्थगित करने के अनुरोध को लेकर अपने स्थान पर जूनियर वकील को बिना किसी तैयारी के अदालत भेजने के लिए ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ पर दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.

‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ एक अधिवक्ता होता है जो मुवक्किलों का प्रतिनिधित्व करने और सुप्रीम कोर्ट में मामले दायर करने के लिए अधिकृत है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने एक मामले की सुनवाई कर रहे थे. इस दौरान एक जूनियर वकील पीठ के सामने पेश हुआ. साथ ही मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया क्योंकि मुख्य वकील उपलब्ध नहीं थे. 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
बेंच में जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘आप हमें इस तरह हल्के में नहीं ले सकते. कोर्ट के कामकाज में ढांचागत लागतें शामिल हैं, बहस करना शुरू करें.’’

जूनियर वकील ने पीठ से कहा कि उन्हें मामले के बारे में जानकारी नहीं है और इस मामले पर बहस करने के लिए उनके पास कोई निर्देश नहीं है. बेंच ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘हमें संविधान से मामले की सुनवाई के निर्देश मिले हैं. कृपया ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ को बुलाएं. उन्हें हमारे सामने पेश होने के लिए कहें. ’’

सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी
बाद में ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश हुए और सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी. पीठ ने उनसे पूछा कि उन्होंने किसी कागजात और मामले की जानकारी के बिना एक जूनियर वकील को कोर्ट में क्यों भेजा. 

पीठ ने तब अपने आदेश में कहा, ‘‘एक जूनियर वकील को बिना तैयारी के भेजा गया. जब हमने स्थगन देने से इनकार कर दिया तो ‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड’ उपस्थित हुए. मामले को इस तरीके से संचालित नहीं किया जा सकता है.’’ बेंच ने कहा, ‘‘एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पास दो हजार रुपये का जुर्माना जमा करना होगा और इसकी रसीद पेश करनी होगी.’’